दलाईलामा पर कूटनीतिक तनातनी की वजह से टाली गई भारत और चीन के बीच 15वें दौर की दो दिवसीय सीमा वार्ता दिल्ली में सोमवार से होगी। पहले यह वार्ता पिछले साल नवंबर में प्रस्तावित थी। बातचीत में भारत के विशेष प्रतिनिधि शिवशंकर मेनन और चीन के स्टेट काउंसिलर दाई बिंगुओ हिस्सा लेंगे।
सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में चल रही प्रक्रिया को भारत और चीन दोनों ही अहम मान रहे हैं। इसलिए तनाव बढ़ाने वाली हाल की तमाम घटनाओं के बावजूद दोनों देश इसे जारी रखने पर सहमत हैं। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि सोमवार से शुरू हो रही इस कवायद के दौरान न केवल सीमा से जुड़े मसलों पर बात करेंगे, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से अहम अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।
15वें दौर की यह बातचीत पिछले साल 28-29 नवंबर को प्रस्तावित थी, लेकिन इसे भारत ने दलाईलामा को लेकर चीन के आपत्ति जताने के बाद रद्द कर दिया था। इन तिथियों पर ही बौद्ध सम्मेलन में दलाईलामा के शिरकत करने से बीजिंग नाराजगी जता रहा था और भारत से इसे रोकने की मांग कर रहा था। 14वें दौर की सीमा वार्ता बीजिंग में नवंबर 2010 में हुई थी।
सूत्रों के अनुसार मेनन और बिंगुओ सीमा प्रबंधन तंत्र स्थापित करने के तौर तरीकों पर बातचीत करेंगे। चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ जब 2010 में भारत आए थे तो दोनों देशों के बीच सरहद पर प्रबंधन तंत्र बनाने पर सहमति बनी थी। दोनों देशों ने सीमा वार्ता आगे बढ़ाने की कोशिश जारी रखने पर जोर दिया है, लेकिन इस बीच दोनों के बीच तनाव बढ़ाने वाली घटनाएं भी थमी नहीं। हाल ही में वायु सेना के अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी को चीन ने वीजा देने से इनकार कर दिया था। नतीजा यह हुआ कि भारत ने चीन को भेजे जाने वाले सैन्य दल को छोटा कर बीजिंग के लिए रवाना किया। देश, विदेश
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