बिजली बिल वसूली की जिम्मेदारी मुखिया की. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 12 जनवरी 2012

बिजली बिल वसूली की जिम्मेदारी मुखिया की.


झारखण्ड में राज्यभर के 32000 गांवों में बिजली बिल वसूली की जिम्मेवारी गांव के मुखिया को सौंपने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। 12 जनवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा। जेएसइबी ने यह योजना राज्य सरकार को सौंप दी है। इसके मुताबिक मुखिया ही बिल कलेक्शन के लिए बिल कलेक्टर की नियुक्ति करेंगे। बिजली कनेक्शन के आधार पर इन्हें निर्धारित लक्ष्य भी दिया जाएगा। जितना भी बिल कलेक्शन होगा, उसका 15 से 20 फीसदी हिस्सा मुखिया को मिलेगा। गांव में दिए गए कनेक्शन के आधार पर टारगेट फिक्स किए जाएंगे। 

बोर्ड के अनुसार, इस प्लान के जरिए 10 से 15 फीसदी राजस्व में वृद्धि हो सकती है। वहीं राज्य के नौ जिलों के ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण पर सहमति बन गई है। ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण का काम जेएसइबी ही करेगी। पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआइएल) कंसलटेंट की भूमिका निभाएगा। इसके एवज में पीजीसीआइएल को 11 फीसदी फीस दी जाएगी। पीजीसीआइएल बीडिंग, टेंडर और मूल्यांकन में सहयोग करेगा। टेंडर की प्रक्रिया में पीजीसीआइएल को भी शामिल किया जाएगा।

मार्च 2011 में वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति जताते हुए इस प्रस्ताव को ऊर्जा विभाग में वापस भेज दिया था। इस प्रस्ताव पर भी कैबिनेट की बैठक में चर्चा की जाएगी। 3.13 करोड़ ब्याज की हानिरांची। बिजली की चोरी पर नियंत्रण और राजस्व वसूली में वृद्धि के लिए बिजली बोर्ड ने एकल फेज मीटर लगाने का निर्णय लिया था। बिजली बोर्ड ने जुलाई 2007 से नवंबर 2008 तक 151443 मीटर बॉक्स और 783 किलोमीटर मीटरिंग केबलिंग की खरीद की। इसके एवज में 13.23 करोड़ रुपए खर्च किए गए। अब तक 22059 मीटर बॉक्स ही स्थापित किया जा सका है और 224.78 किलोमीटर केबलिंग ही स्थापित की गई है। एजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक 129384 मीटर बॉक्स नहीं लग पाए हैं। 558.22 किलोमीटर केबलिंग भी नहीं की गई है। इसके बेकार पड़े रहने के कारण बिजली बोर्ड की 10.50 करोड़ रुपए की राशि रुक गई है। 3.13 करोड़ रुपए ब्याज का भी नुकसान हो गया है। रिपोर्ट में इस बात को भी शामिल किया गया है कि मीटर बॉक्स और केबल की अधिप्राप्ति से पहले आकलन नहीं किया था। 

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