सर्वोच्च न्यायालय ने माफिया अबू सलेम को राहत देते हुए वर्ष 1993 के मुम्बई बम विस्फोटों में उसकी कथित संलिप्तता से जुड़े दो मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी है। सलेम के खिलाफ दोनों मामलों की सुनवाई मुम्बई की टाडा अदालत में चल रही है। न्यायमूर्ति पी. सतशिवम एवं न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर की खंडपीठ ने विदेश मंत्रालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के जरिए केंद्र सरकार को जारी नोटिस में टिप्पणी की है कि मामले से एक अहम सवाल जुड़ा है कि सरकार के निर्णय से क्या पुर्तगाल की अदालतों की फैसलों पर असर पड़ेगा।
न्यायालय ने पूछा कि अबू सलेम को प्रत्यर्पित किए जाते समय समय भारत सरकार ने पुर्तगाल के अधिकारियों को क्या वचन दिया था। न्यायमूर्ति सतशिवम ने कहा, "हमें अपीली अदालत और पुर्तगाल के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करना होगा।" न्यायालय ने कहा कि इस तरह के मामले मुश्किल से उसके समक्ष आते हैं। न्यायालय ने मामले में महान्यायवादी जी. वहानवती से भी सहयोग मांगा है। ज्ञात हो कि अबू सलेम के प्रत्यर्पण की अनुमति देते समय पुर्तगाल की अदालत ने कहा था कि उसे मौत अथवा 25 वर्षो से अधिक की सजा नहीं दी जा सकती।
मुम्बई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में सलेम अपनी कथित संलिप्तता को लेकर सुनवाई का सामना कर रहा है। इन विस्फोटों में 257 लोग मारे गए थे और 713 लोग घायल हुए थे। विस्फोटों में 27 करोड़ रुपये मूल्य की सम्पत्तियां भी क्षतिग्रस्त हुईं। विस्फोटों के सिलसिले में 189 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया जिनमें से फरार 44 आरोपियों में सलेम भी एक था। उल्लेखनीय है कि पुर्तगाल की अदालत के फैसले के बाद सलेम ने अपने खिलाफ भारत में चल रही सभी सुनवाई पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह आदेश दिया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें