
राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी परिषद (एनसीटीसी) के गठन को लेकर उठे विवाद के बीच केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि सरकार इस मुद्दे को लेकर उठ रही आशंकाओं को समाप्त करने के लिये संबंधित पक्षों से बातचीत करने को तैयार है।
सिब्बल ने कहा कि एनसीटीसी को लेकर अगर कोई गलतफहमी है तो हम उस पर बातचीत करेंगे। एनसीटीसी के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रस्तावित परिषद को प्राप्त होने वाली शक्तियां गैरकानूनी गतिविधि नियंत्रण कानून में वर्ष 2008 में किये गये दूसरे संशोधन के जरिये दी जाएंगी। इसमें राज्यों का प्रतिनिधित्व पहले भी था और अब भी है। पूछे जाने पर कि इस परिषद के गठन का विरोध कर रही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को क्या इस बारे में जानकारी नहीं है, सिब्बल ने कहा मुझे भी एनसीटीसी के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं थी। मुझे हाल ही इसके बारे में विस्तार से मालूम हुआ है।
केन्द्रीय मंत्री से कल होने वाली मंत्रिसमूह की उस बैठक के बारे में पूछा गया जिसमें चुनाव आचार संहिता के मामलों को चुनाव आयोग के बजाय अदालत में निस्तारित किये जाने पर चर्चा की जानी है। इस पर उन्होंने कहा कि उन्हें उस बैठक के एजेंडा के बारे में जानकारी नहीं है। सिब्बल ने कहा मैं सम्बन्धित मंत्रिसमूह में शामिल जरूर हूं लेकिन मुक्षे उसकी बैठक के एजेंडा के बारे में जानकारी नहीं है। अक्सर ऐसा होता है कि अधिकारगण निश्चित प्रस्ताव तैयार करते हैं, कभी-कभी हम उन पर विचार करते हैं तो कभी नहीं भी करते हैं।
कानपुर में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में मुकदमा दर्ज किये जाने पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा प्रारम्भिक जांच किये बगैर अथवा दूसरे पक्ष की बात सुने बिना थोड़ी ही देर के बाद मुकदमा दर्ज कर दिया गया। सिब्बल ने कहा कि सभी तैयारियां पूरी होने के बाद जिला प्रशासन ने ही ऐन वक्त पर राहुल के रोड शो का मार्ग बदल दिया था। यह पूछे जाने पर कि क्या कानपुर जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री मायावती के कहने पर गड़बड़ी की, उन्होंने कहा कि वह किसी की आलोचना नहीं करेंगे लेकिन जो हुआ, उससे आशंका तो पैदा ही होती है। सिब्बल ने इस मौके पर आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे उन बसपा नेताओं की एक सूची भी जारी की जिनके खिलाफ लगे आरोपों को सरकार वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। उन्होंने कहा मैंने इससे पहले ऐसी सरकार कभी नहीं देखी जो बलात्कार तथा अवैध वसूली जैसे आरोपों को वापस लेने की कोशिश कर रही है।
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