विवादास्पद लेखिका तसलीमा नसरीन की आत्मकथा निर्वासन के सातवें हिस्से का भारी विरोध के कारण बुधवार को कोलकाता पुस्तक मेला परिसर से बाहर विमोचन किया गया। आयोजकों ने कट्टरपंथियों के विरोध के चलते इसके विमोचन के कार्यक्रम को संचालित करने से इनकार कर दिया था।
कुछ धार्मिक कट्टरपंथी नहीं चाहते थे पुस्तक जारी हो। पुस्तक मेले के आयोजक प्रकाशक एवं पुस्तक विक्रेता गिल्ड के सचिव सुधांग्शु डे ने बताया कि पुस्तक विमोचन के दौरान कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होने की आशंका के चलते मेला परिसर में प्रकाशक द्वारा ऑडिटोरियम की बुकिंग को रद्द कर दिया गया था। इससे पूर्व गिल्ड ने प्रकाशक से कट्टरपंथियों की ओर से विरोध जताए जाने के बाद पुस्तक का विमोचन नहीं करने को कहा था। तसलीमा की पुस्तक के प्रकाशक पीपुल्स बुक सोसायटी ने इसके बाद विरोध जताते हुए ऑडिटोरियम के बाहर आत्मकथा का विमोचन किया।
तसलीमा का कहना है कि कोलकाता एक प्रगतिशील शहर है। सभी राजनीतिक दल और सभी संगठन कट्टरपंथियों से डरे हुए, लेकिन कब तक। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने मुझे प्रतिबंधित कर दिया। उन्हें पुस्तक की विषय वस्तु जानने की जरूरत नहीं है।
तसलीमा ने दावा किया है कि कोलकाता पुलिस ने कोलकाता पुस्तक मेला समिति से वातानुकूलित हॉल में पुस्तक विमोचन समारोह को रद्द किए जाने को कहा था। उन्होंने लिखा है कि कोई सबूत नहीं हैं कि मुल्ला कोलकाता पुलिस के पास गए। प्रकाशक तथा अन्य सोचते हैं कि मेरे पुस्तक विमोचन समारोह को रद्द करना सरकार का फैसला था। तसलीमा ने कहा कि पीबीएस प्रकाशक ने मित्रों के साथ कोलकाता पुस्तक मेले में खुले आसमान के नीचे मेरी पुस्तक का विमोचन किया। एसी हाल में किताब का विमोचन प्रतिबंधित था। तसलीमा के प्रशंसकों ने मेले में उनकी कोलकाता वापसी की मांग करते हुए नारेबाजी भी की। उन्हें विरोध-प्रदर्शनों के बाद प्रशासन ने 2007 में शहर से बाहर कर दिया था।
बंगला में लिखित नयी किताब में उन परिस्थितियों का जिक्र किया गया है जिनके चलते तसलीमा को कोलकाता छोड़ना पड़ा जिसे वह अक्सर अपना दूसरा घर बताती रही हैं। इसके परिणामस्वरूप उन्हें मानसिक अवसाद तथा एक ऐसी असुरक्षा की भावना से गुजरना पड़ा कि उनका दुनिया में कोई घर नहीं है। आल इंडिया मायनोरिटी फोरम के अध्यक्ष इदरिस अली ने मिल्ली इत्तिहाद परिषद के महासचिव मोहम्मद अजीज के साथ मिलकर प्रकाशक को शिकायत दर्ज करायी कि पुस्तक का विमोचन नहीं किया जाना चाहिए था।
तृणमूल कांग्रेस की अल्पसंख्यक शाखा के नेता अली ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने मुकुल राय से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि पुस्तक का विमोचन नहीं हो। यह पूछे जाने पर कि जब किताब देशभर में कहीं प्रतिबंधित नहीं है तो विरोध का क्या कारण है, अली ने कहा कि आत्मकथा के पिछले हिस्सों ने मुस्लिमों की भावनाओं को आहत किया था। हमें कई पक्षों की ओर से ढेरों शिकायतें मिली हैं। हम शांति बनाए रखना चाहते हैं।
अजीज ने दूसरी ओर सलाह के बावजूद पुस्तक का विमोचन करने के विरोध में कल मेला परिसर में आंदोलन करने की धमकी दी है और साथ ही माफी मांगने और पुस्तक को वापस लिए जाने की भी मांग की है। टीपू सुल्तान मस्जिद के इमाम एन आर बरकती ने कहा कि हमें हैरानी है कि पुस्तक का विमोचन हो गया। इससे समाज में गलत संदेश गया है। भारतीय संविधान के तहत किसी को धार्मिक भावनाओं को आहत करने का अधिकार नहीं है।
प्रकाशक शिबानी मुखर्जी ने कहा कि पुस्तक के विमोचन पर प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर आक्रमण है। एपीडीआर के पदाधिकारी सुजातो भद्र ने कहा कि सरकार ने पुस्तक को प्रतिबंधित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यह गिल्ड का एक पक्षीय फैसला है। राज्य में सरकार बदल गयी है लेकिन तसलीमा के बारे में रूख नहीं बदला है।

1 टिप्पणी:
islaam ,muslim log tasleema ki book se itne darte kyun hain....daal me kala lagta hai unhe dar hai ki muslim aurten mrdon ki barabri na karne lagen.apni kamiyon par parda dalkar rakhna chahte hain .iss mulk me sabhi ko apni baat kahne aur likhne ka janmsiddh adhikar hai.
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