उत्तराखण्ड में सत्ता परिवर्तन के बाद दलालों की भूमिका सक्रिय हो गई है। पांच साल तक भाजपा शासनकाल में मुख्यमंत्रियों को साधने का काम करने वाले दलालों की चौकड़ी कांग्रेस सरकार आते ही मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के इर्द-गिर्द मंडरानी शुरू हो गई है। मीडिया के नाम पर कई दलाल अपनी दुकानों को चलाने का काम कर रहे हैं और इसी के आधार पर उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्रियों को साधने का काम किया जा रहा है। इन दलालों की फौज गु्रप में बंटकर अधिकारियों के साथ-साथ सचिवालय में बडे़ पैमाने पर होने वाले कामों पर नजर गढ़ाए रहती है और उसके बाद फिर यह दलाल अपनी दुकान चलाने का काम शुरू करते हैं उत्तराखण्ड में इस परीपाटी को अन्य राज्यों से आए लोगों ने ज्यादा बढ़ा दिया है और देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखण्ड में यहां के स्थानीय लोग उनकी चालों से लगातार पटखनी खाते जा रहे हैं।
सरकार के विभिन्न अंग माने जाने वाले पर्यटन, सूचना, वन, स्वास्थ्य, संस्कृति, उर्जा सहित कई महत्वपूर्ण विभागों में फिल्में बनाने के नाम पर यह दलाल मोटा खेल खेलने में लगे हैं और इन दलालों की भूमिका संबंधित विभागों के अधिकारियों को कुछ न कुछ देने की भी बनी हुई है। भाजपा सरकार के शासनकाल में इन दलालों ने कई विभागों से मोटी रकम लेकर फिल्मों को बनाने का काम किया और लाखों रूपये की फिल्में संबंधित विभागों ने भी बना डाली, लेकिन उनका उपयोग कितने स्थानों पर करते हुए राज्य को फायदा पहुंचा इसकी भी समीक्षा किया जाना बेहद जरूरी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पद पर आसीन होने कुछ ही दिनों बाद अन्य राज्य से आया एक दलाल सक्रिय हो गया और उसने मुख्यमंत्री की हजामत बनाने के लिए नाई तक की व्यवस्था करा डाली, लेकिन बीजापुर गेस्ट हाउस में उस दलाल किस्म के व्यक्ति को जिसे भाजपा शासनकाल में दागी व बागी की संज्ञा दी जाती है, उसे बहुगुणा दरबार से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, लेकिन इसके बाद भी उक्त दलाल राज्य के एक विभाग में वहां के अधिकारी को खुश करने के लिए हर तरह के प्रपंच इस्तेमाल कर रहा है और इसकी ऐवज में लाखों रूपये की फिल्में बनाने का काम करने में लगा है। जबकि उक्त व्यक्ति को देश के एक अन्य राज्य से ब्लैक लिस्ट कर भगा दिया गया था, जिसके बाद उसने अपनी दुकान उत्तराखण्ड में स्थापित कर डाली और यहां अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों रूपये की धनसंपदा अर्जित कर ली।
भाजपा शासनकाल में दलालों की फौज अब बहुगुणा सरकार में अपनी पैठ जमाने के लिए तैयारी में जुट गई है, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी इन दलालों से सतर्क रहने की बेहद जरूरत है, क्योंकि इन्हीं के भरोसे उत्तराखण्ड में भाजपा के लिए जरूरी बने खण्डूडी विधानसभा चुनाव के बाद जरूरी नहीं रहे और अपनी राजनैतिक जमीन खोने के साथ-साथ भाजपा को ही सत्ता की कुर्सी से बेदखल करवा दिया गया। उत्तराखण्ड में लगातार बढ़ती जा रही दलाली प्रथा को लेकर राजनैतिक विश्लेषक इसे मीडिया घरानों के लिए भी शुभ संकेत नहीं मान रहे क्योंकि मीडिया निष्पक्ष रूप से अपनी पत्रकारिता को कुंदधार देने के बजाए इन दलालों के कारण अपनी विश्वसनीयता को लगातार ताक पर रखते जा रही है। लगातार उत्तराखण्ड में पत्रकारिता का स्तर भी गिरता जा रहा और खबरों की विश्वसनीयता भी लगातार खोती जा रही है और विधानसभा चुनाव से पहले मीडिया घरानों के एक्जिट पोल भी जनता का विश्वास हासिल करने में नाकामयाब साबित हुए हैं। उत्तराखण्ड में इस तरह आगे बढ़ रही पत्रकारिता निश्चित रूप से भविष्य के लिए खतरा है और आज तैयार की गई नीव कल के लिए नुकसानदायक साबित होने की तरफ आगे बढ़ रही है। कुल मिलाकर उत्तराखण्ड में कांग्रेस की सरकार आते ही दलाल किस्म के मीडिया घराने भी बहुगुणा दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हुए देखे जा रहे हैं।
(राजेन्द्र जोशी)

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