कोलकाता को संजोये "कहानी" (समीक्षा) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

कोलकाता को संजोये "कहानी" (समीक्षा)


"कहानी " फिल्म कई कारणों से लोगो के जहन में कई दिनों तक रहेगी. कुछ इसे विद्या बालन की एक्टिंग के कारण याद रखेगे, कुछ सुजोय घोष के निर्देशन के कारण , कुछ कोलकाता को नए सिरे से दर्शको के सामने पेश किये जाने के कारण याद करेगे . बहुत वर्षो के बाद कोलकाता को केंद्र में रख कर कोई फिल्म पूरी तरह से फिल्माई गई है. इस फिल्म के शुरुआत में कहानी जितनी सरल दिखती है दर्शको को , आगे बहते -बहते कहानी एक थ्रिलर बन जाती है. हर लम्हा कहानी का एक नया सिरा दर्शको के सामने खोलता है. कैसे एक साधारण सी लगने वाली एक कंप्यूटर इंजिनीयर गर्भवती स्त्री अंत में अपने पति की मौत का बदला लेनेवाली एक आर्मी ऑफिसर की विधवा निकलती है .यह दर्शको को अंत में चौका देता है .सिस्टम द्वारा इस्तेमाल होते होते सिस्टम को ही इस्तेमाल कर जानेवाली एक साधारण सी औरत की ये असाधारण कहानी है. विद्या बालन की दमदार एक्टिंग के कारण इस फिल्म को चलने में काफी मदद मिलेगी. पूरी फिल्म विद्या अपने कंधे पे ले कर चलती है. इस फिल्म में बंगाल के कलाकारों को दर्शको के सामने अपना हुनर दिखने का काफी मौका मिला. 

कोलकाता पुलिस अधिकारी की भूमिका में राना ( परमब्रता चटर्जी ) और बोब (सास्वत चटर्जी ) एक कांट्रेक्ट किलर की भूमिका में दर्शको के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो गए है. एक बंगाली पुलिस बाबु की भूमिका को परमब्रता चटर्जी ने जिस सहजता के साथ निभाया है वह काबिले तारीफ है. बोब ने भी एक कांट्रेक्ट किलर की भूमिका को बिना किसी लाउडनेस के निभाया है उससे उसकी एक्टिंग क्षमता का परिचय तो मिलता ही है. साथ ही साथ दर्शको को एक नए तरह का किलर देखने को मिलता है जो आम हिंदी सिनेमा के क्रिमिनल से बहुत अलग है.निर्देशक सुजय घोष ने फिल्म के साथ काफी एक्सपेरिमेंट किया है जैसे बेकग्राउंड में बागला गानों का रेडियो में बजना , शूटिग नए कोलकाता की जगह पुराने कोलकाता में करना , दुर्गा पूजा को बेकग्राउंड में रख कर कहानी को आगे बढ़ाना सब कुछ एक शहर के मिजाज़ को ध्यान में रख कर किया गया है. ट्राम ,टैक्सी , रिक्शे का इस्तेमाल करना . विद्या बालन का राना को पाव मरना और राना का उसे नमस्कार करना ये कोलकाता की सभ्यता का एक महत्वापूर्ण अंग है जो अब ख़तम होता जा रहा है. 

कुछ लोगो को विद्या और राना के बीच में पनपे हुए प्रेम को समझना अटपटा लगा हो. पर प्यार एक भावनात्मक निर्णय है और शादी एक प्रक्टिकल. हम किसी को उसके साहस , बुद्धिमानी और कोम्मित्त्मेंट के कारण भी प्यार कर सकते है. जरूरी नहीं है की प्यार किसी khoobsurat लड़की के साथ ही किया जाये जो अपनी बाली उम्र में हो. यह भी जरूरी नहीं है कि जिसे आप प्यार कर उसे बाहों में लेकर झूमे और पेड़ के आगे- पीछे चक्कर काटे . प्यार का मतलब चुप- चाप एक दूसरे की मदद करना भी हो सकता है बिना किसी शारीरिक प्रतिबधता के . इस फिल्म के बाद शायद इस विषय पर एक बहस छिड सकती है कि "आत्मिक प्रेम" जो आज के समाज बे एक outdated विषय बन गया है वो शायद इस फिल्म के बाद फिर से जीवित हो जाये. राना और विद्या का प्रेम भी कुछ इस तरफ दौड़ता नज़र आ ta है इस फिल्म में , तभी तो विद्या जब भाष्करण के खिलाफ सबूत छोड़ कर जाती है राना के नाम तब खान उसके इस कार्य को समझने में असफल रहता है. इंटेलीजेन्स अफसर ए खान की भूमिका में नवाज़ुद्दीन छा गए . एक काम से काम रखनेवाले इंटेलीजेन्स अफसर की भूमिका में खान जो एक गर्भवती औरत को भी अपना मकसद पूरा करने के लिए इस्तेमाल करने में जरा सा भी नहीं चूकता है और राना को सलाह देता है कि "प्यार अच्छी चीज है पर इसका इस्तेमाल सही जगह किया जाना चाहिए" नवाज़ुद्दीन हर जगह अपने कद से उचा दिखे . 

गाना लोगो को पसंद आ रहा है चाहे वो "आमी सोत्ती बोल्ची " या " एकला चोलो रे " अभिताभ बच्चन की आवाज़ में लोगो को काफी पसंद आ रहा है. बिना किसी आइटम नंबर के या बिदेशी लोकेशन के यह फिल्म दर्शको को अपनी ओर खीच रहा है. कोलकाता की संस्कृति ,गालिओ और उसके मिजाज़ को समझने में यह फिल्म दर्शको को बहुत मदद करेगा . डर्टी पिक्चर, इश्किया और पा की सफलता के बाद यह फिल्म विद्या बालन को अग्रिम पंक्ति की हेरोइन में लाकर खड़ा कर के रख देगा . खाटी देशी लुक के साथ विद्या जो अपील रखती है उससे लगता है वो आज की माडर्न विदेशी लुक रखनेवाली हेरोइने को वो लबे समय के लिए टक्कर देगी आनेवाले दिनों में . "अल्लादीन "," होम डेलिवेरी" और झंकार बीट जैसी फिल्मो के बाद "कहानी" फिल्म की सफलता के बाद सुजय घोष को लम्बे समय तक के लिए याद किया जाये गा. विशाल -शेखर का संगीत जानदार है . कोलकाता के लिए भी लोग इसे वर्षो याद रखेगे . 



---माधवी श्री---

कोई टिप्पणी नहीं: