सीबीआई की एक विशेष अदालत ने चार साल पहले नोएडा में हुए आरूषि तलवार हत्या मामले में सह आरोपी आरूषि की माँ नुपुर तलवार की गिरफ़्तारी के लिए ग़ैर ज़मानती वारंट जारी कर दिया है.
उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद स्थित अदालत ने सुनवाई के दौरान नुपुर तलवार के एक बार फिर गैर हाजिर रहने के बाद सीबीआई के अनुरोध पर वारंट जारी किया. मगर उनके पति और आरूषि के पिता राजेश तलवार अदालत में सुनवाई के लिए आए थे.
सीबीआई ने 14 मार्च को एक आदेश जारी कर नुपुर तलवार को 30 दिन के भीतर अदालत के सामने हाजिर होने के लिए कहा था. मगर उनके वकील ने ये कहते हुए सुनवाई में शामिल होने से छूट दिए जाने की माँग की थी कि सुनवाई के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में उनकी एक याचिका पर सुनवाई होनी बाकी है.
राजेश तलवार पर पिछले साल गाजियाबाद अदालत में हमला हुआ था जिसके बाद तलवार दंपति ने सुनवाई को दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी. मगर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने उनकी अपील को खारिज कर दिया था. अब तलवार दंपति ने पुनर्विचार याचिका दी है जिसपर सुप्रीम कोर्ट में 27 अप्रैल को सुनवाई होगी.
मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी तलवार दंपति को राहत नहीं मिली जिसने पिछले महीने जारी अपने एक आदेश को स्थगित कर दिया जिसमें गाजियाबाद अदालत से नुपुर तलवार की जमानत के आवेदन पर बिना अधिक समय ख़र्च किए फैसला करने का निर्देश दिया गया था. हाईकोर्ट ने 13 मार्च को अपने आदेश में नुपुर तलवार से गाजियाबाद में सीबीआई की अदालत में समर्पण करने और फिर अदालत से उनके आवेदन पर फैसला करने का आदेश जारी किया था.
सीबीआई ने आरूषि तलवार हत्याकांड में आरूषि की माँ नुपुर तलवार और पिता राजेश तलवार पर आरूषि और उनके नौकर हेमराज की हत्या में लिप्त होने का आरोप लगाया है. राजेश और नुपुर तलवार डेन्टल डॉक्टर हैं. 14 वर्षीया आरूषि का शव मई 2008 में नोएडा में उसके बेडरूम में मिला था. इसके अगले दिन उनके नौकर हेमराज की लाश उनके घर की छत पर बरामद की गई.
आरुषि की हत्या का आरोप सबसे पहले उसके पिता राजेश तलवार पर लगा था और हत्या के एक हफ्ते बाद ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने पहले उन्हें गिरफ्तार किया और फिर रिहा कर दिया. इस मामले में डॉक्टर तलवार के एक सहायक और उनके जाननेवालों के घर काम करनेवाले दो नौकरों समेत तीन अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया था और फिर छोड़ दिया गया.
बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस के काम के तरीके पर काफी हंगामा मचा और फिर उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मायावती सरकार ने ये मामला सीबीआई को सौंप दिया. जाँच के कुछ ही दिन के भीतर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मीडिया में ये कह दिया था कि आरूषि की हत्या इसलिए हुई क्योंकि उसे अपने पिता के एक कथित विवाहेतर संबंध का पता चल गया था. इसी अधिकारी ने ये भी कह दिया था कि हो सकता है कि आरूषि की हत्या उसके और मारे गए नौकर हेमराज के बीच कोई संबंध होने के कारण हुई.

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें