सरकार ने महंगाई का सामना कर रहे गरीब परिवारों को राहत पहुंचाने के लिए राशन की दुकानों से आयातित सस्ती दालें और खाद्य तेल उपलब्ध कराने का फैसला किया है. मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने गुरुवार को हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. जिसमें दालें 20 रुपए और खाद्य तेल 15 रुपए किलो तक सस्ता बेचा जाएगा. इसके साथ ही पूरी राशन व्यवस्था के कंप्यूटरीकरण के लिए 884 करोड़ रुपए की योजना को भी मंजूरी दे दी गई. इससे फर्जी राशनकार्डों को समाप्त करने में मदद मिलेगी.
सीसीईए बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा ‘सीसीईए ने आज सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए सस्ती आयातित दाल बेचने की पुरानी योजना को नए रूप में शुरू करने को अपनी मंजूरी दे दी. इन दालों पर सरकार की तरफ से 20 रुपए प्रति किलो तक सब्सिडी दी जाएगी.’ यह योजना 31 मार्च 2013 तक चलेगी. इसी प्रकार सरकार ने आयातित खाद्य तेल की बिक्री भी राशन की दुकानों से करने की योजना एक साल और जारी रखने का फैसला किया है. राशन की दुकानों के जरिए 10 लाख टन आयातित खाद्य तेल की बिक्री होगी और इस पर प्रतिकिलो 15 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी. सस्ती दाल और तेल की राशन की दुकानों के जरिए बिक्री करने के पीछे सरकार का मकसद गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों (बीपीएल) को महंगाई की मार से राहत देना है.
सीसीईए ने खाद्य तेलों के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखने का भी फैसला किया है. हालांकि खाद्य तेलों का पांच किलो की ब्रांडेड पैकिंग में निर्यात जारी रहेगा. लेकिन ऐसा निर्यात सालाना 20,000 टन से अधिक नहीं होगा. इस बार मानसून देरी से आने के कारण दलहन और तिलहन की पैदावार कम रहने की आशंका व्यक्त की जा रही है. इसलिए इनके दाम ऊंचे बने हुए हैं.
सरकार ने 12वीं पंयवर्षीय योजना में राशन व्यवस्था का एक सिरे से लेकर दूसरे सिरे तक कप्यूटरीकरण करने की योजना है. चिदंबरम ने कहा कि सीसीईए ने इसके पहले भाग को मंजूरी दे दी. लागत में हिस्सेदारी के आधार पर इसके लिए 884 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी गई है. उन्होंने कहा कि इस पर आने वाली लागत में केंद्र और राज्य बराबर की हिस्सेदारी वहन करेंगे. हालांकि, पूर्वोत्तर राज्यों को इससे अलग रखा गया है. इन राज्यों में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत तक लागत स्वयं वहन करेगी.
चिदंबरम ने कहा ‘भारत सरकार और राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों का हिस्सा क्रमश: 489.37 करोड़ रुपए और 394.70 करोड़ रुपए अनुमानित है.’ योजना के तहत राशन कार्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा तथा दूसरे डाटाबेस तैयार किए जाएंगे. आपूर्ति श्रंखला का कंप्यूटरीकरण और शिकायत निपटान प्रणाली खड़ी की जाएगी. लाभार्थी का डाटाबेस और आपूर्ति श्रंखला का कंप्यूटरीकरण क्रमश: मार्च 2013 और अक्तूबर 2013 तक तैयार हो जाने की उम्मीद है.
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