दिल्ली हाईकोर्ट पर हुए बम विस्फोट के मामले में आरोपी वसीम अकरम मलिक के खिलाफ अदालत ने आरोप तय करने के आदेश दिए हैं. पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट के पांच नंबर गेट पर हुए बम विस्फोट के मामले में आरोपी वसीम अकरम मलिक के खिलाफ अदालत ने हत्या, हत्या की कोशिश, आपराधिक साजिश व अन्य आपराधिक धाराओं के तहत आरोप तय करने के आदेश दिए हैं.
अदालत ने आतंकवाद निरोधक कानून के तहत भी आरोप तय किए हैं लेकिन भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप तय नहीं किया है. इसी आरोप की बाबत राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने हाईकोर्ट में निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए संशोधन करने की मांग कर रखी है. पिछले साल हुए इस बम विस्फोट में 15 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि करीब 80 लोग घायल हो गए थे. अदालत ने आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 440, 436, 302, 307, 323 और 325 व 120 बी के तहत आरोप तय किए हैं.
पटियाला हाउस के जिला न्यायाधीश एच एस शर्मा की अदालत ने पहली नजर में पाए गए सबूतों के मद्देनजर वसीम अकरम मलिक के खिलाफ हत्या व अन्य गंभीर अपराधों के अलावा गैरकानूनी क्रिया कलाप रोकथाम कानून तथा विस्फोटक सामग्री कानून के तहत विभिन्न अपराधों के लिए आरोप तय कर दिए हैं. बंद कमरे में हुई इस सुनवाई की बाबत सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने मलिक के अलावा, अमीर अब्बास देव को भी इस मामले में गिरफ्तार किया था लेकिन सुनवाई के दौरान वह जांच एजेंसी के लिए वादा माफ गवाह बन गया और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है.
बताया गया कि उसने गवाह बनने का अनुरोध किया था जिसके बाद उसने इस मामले के सिलसिले में बंद कमरे में मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान दर्ज किया था. जानकारी हो कि मजिस्ट्रेट द्वारा सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान उस व्यक्ति के लिए बाध्यकारी होता है और यदि वह वह उससे पलटता है तो उस पर झूठी गवाही के लिए मुकदमा चल सकता है. इस मामले में एनआईए ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था. इनमें तीन आरोपी-मलिक, देव और एक नाबालिग गिरफ्तार किए जा चुके हैं जबकि तीन अन्य अमीर कमाल, जनुश्वैद अकरम मलिक और शाकिर हुसैन शेख उर्फ छोटा हफीज गिरफ्तारी से बच रहे हैं और ये तीनों ही हिजबुल मुजाहिदीन के सदस्य बताए जाते हैं. नाबालिग के मामले की सुनवाई अलग से हो रही है.
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