अन्ना हजारे ने शनिवार को कहा कि रोबर्ट वाड्रा पर लगाए गए आरोपों की जांच होनी चाहिए, और अगर ये आरोप गलत पाए जाते हैं तो आरोप लगाने वालों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर होना चाहिए।
राणेगांव में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए अन्ना ने कहा कि रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के साथ गैरकानूनी लेनदेन के आरोपों की जांच जरूरी है, ताकि सच्चाई पूरी दुनिया के सामने आ जाए। इससे पहले राजनीति में उतरने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता केजरीवाल व उनकी टीम ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद व प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर रियल एस्टेट क्षेत्र में होने वाले लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने इन आरोपों को असभ्य एवं गलत बताया। टीम ने रियल स्टेट क्षेत्र की प्रमुख कम्पनी डीएलएफ द्वारा वाड्रा को बिना ब्याज और बिना किसी सुरक्षा राशि के 65 करोड़ रुपये का ऋण देने पर सवालिया निशान खड़ा किया। टीम के मुताबिक इसी पैसे से वाड्रा ने करोड़ों रुपये बनाए।
केजरीवाल ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''डीएलएफ ने प्रियंका गांधी के पति वाड्रा को पहले 65 करोड़ रुपये का ऋण दिया। फिर वाड्रा ने उसी पैसे से डीएलएफ की 35 करोड़ रुपये की सम्पत्ति सिर्फ पांच करोड़ रुपये में खरीदी।'' केजरीवाल के सहयोगी एवं प्रसिद्ध अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, ''आखिर क्यों डीएलएफ ने वाड्रा को बगैर ऋण व बगैर सुरक्षा राशि के यह रकम दिया?'' प्रशांत ने रजिस्ट्रार ऑफ इंडिया से मिले दस्तावेजों के आधार पर कहा, ''वाड्रा ने 2007 में पांच कम्पनियों का निर्माण किया जिसकी निदेशक कुछ समय तक उनकी पत्नी प्रियंका गांधी भी थीं हालांकि बाद में वह इससे हट गईं। वर्तमान में इस कम्पनी में वाड्रा एवं उनकी मां निदेशक थीं।''
भूषण ने कहा कि इन पांच कम्पनियों की बैलेंस शीट के अनुसार इनकी पूंजी मात्र पचास लाख रुपये है। उन्होंने कहा कि सत्तारुढ़ गांधी खानदान के दामाद द्वारा पड़े पैमाने पर सम्पत्तियां खरीदने से कई प्रश्न उठ खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि वाड्रा की कम्पनियों को पहले डीएलएफ ने सस्ता ऋण दिया और फिर इसके द्वारा अपनी सम्पत्तियों को कौडिम्यों के मोल बेच दिया। भूषण ने आरोप लगाया कि वाड्रा को सस्ती जमीन देने के कारण दिल्ली एवं हरियाणा की सरकारों ने डीएलएफ के लिए भूमि अधिग्रहण किया। उन्होंने कहा, ''हम इस पूरे मामले की जांच की मांग करते हैं।'' कांग्रेस के सांसद संदीप दीक्षित ने कहा, ''यह कहानी पहले इकोनोमिक टाइम्स में प्रकाशित हुई थी। केजरीवाल की यह पुरानी तरकीब है। वाड्रा ने उसी समय अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। इस मामले में कांग्रेस को घसीटना गलत है।''
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