आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि दमानिया के खुलासे के बाद बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी की मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. गडकरी के जरिए लिखी गई दो ऐसी चिट्ठियाँ सामने आई हैं जिनमें उन्होंने जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल से अपने करीबी अजय संचेती की कंपनी के बकाया पैसे जारी करने की सिफारिश की.
गडकरी ने इसी साल मार्च में पवन कुमार बंसल से अनुरोध किया है कि महाराष्ट्र सिंचाई विभाग के योजनाओं में काम कर रहे कुछ ठेकेदारों के पैसे जारी किए जाएं. बीजेपी अध्यक्ष ने जिन कंपनियों के समर्थन में पवन कुमार बंसल को चिट्ठी लिखी उनमें कुछ कंपनियों के मालिक गडकरी के करीबी अजय संचेती हैं.
गडकरी ने बंसल को भेजे पत्र में लिखा, "सिंचाई विभाग की योजनाओं का काम पूरी तेज़ी के साथ हो रहा है. अगर उनके बकाये नहीं मिले तो ठेकेदार काम रोक सकते हैं. जिससे योजनाओं के पूरा होने में देरी हो सकती है. इस समय करीब 400 करोड़ बाकी हैं." उन्होंने जल संसाधन मंत्री से अनुरोध किया कि मौके की नज़ाकत को देखते हुए जल्द से जल्द पैसे जारी कर दिए जाएं. इस मामले पर जब पवन बंसल से बीत की गई तो उन्होंने कहा कि,"हां गडकरी जी का पत्र आया था."
आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि दमानिया ने दावा किया था कि सिंचाई घोटाले को लेकर जब वह नितिन गडकरी से मिलने गई तो उन्होंने इस मामले में मदद करने से इनकार कर दिया था. दमानिया ने दावा किया था कि गडकरी ने बातचीत के दौरान उनसे कहा था, "शरद पवार के चार काम मैं करता हूं और वे चार काम हमारे करते हैं. हम दोनों में कारोबारी रिश्ते हैं और मैं सिंचाई घोटाले में आपकी मदद नहीं कर सकता." खबरें आईं थी कि सिंचाई घोटाले में नितिन गडकरी के क़रीबी अजय संचेती, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधान परिषद संदीप बाजोरिया और कांग्रेस के मंत्री पतंगराव कदम के होने वाले समधी अविनाश भोसले शामिल हैं.
अजय संचेती, संदीप बाजोरिया और अविनाश भोसले को नियमों को ताक पर रखकर कॉन्ट्रक्ट दिए. संचेती को कानूनों को दरकिनार रखकर तीन से अधिक कॉन्ट्रैक्ट दिए गए, जबकि नियमों के मुताबिक एक फर्म को तीन से अधिक कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिए जा सकते. साल 2005 में संचेती कंपनी का नाम बदलकर एसएमएस इंफ्रास्ट्रक्चर कर दिया गया और उसके बाद संयुक्त उद्यम के तौर पर डी एंड एसएन बना और उसे सिंचाई विभाग के कॉन्ट्रैक्स मिले. इन सब पर अजित पवार की मेहरबानी रही. अजित पवार 1999 से 2009 तक सिंचाई मंत्री रहे और विद्रभ सिंचाइ विकास निगम के पदेन अध्यक्ष भी रहे. इन सब को उजागर करने वाली हैं आरटीआई एक्टिविस्ट अंजलि दामानिया. उन्हीं की कोशिशों की वजह से ये सारे मामले अब मीडिया में है.
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