और उबाऊ टाईमपास लोगों से !!!
हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में कई लोग हमसे रोज टकराते हैं या हम उनके सम्पर्क में आते हैं। इनमें सभी प्रकार के लोग शामिल हैं। लोगों की भीड़ में एक किस्म उन लोगों की भी है जो उबाऊ हैं तथा इन लोगों को अक्सर उबासियाँ आती रहती हैं। उबासियां कहें या जम्हाई लेने के इनके तरीके भी कई किस्मों के होते हैं। इनमें कई लोग विचित्र तरीके से उबासियां लेते हैं। उबासियाँ आने का सीधा कारण यह है कि ऑक्सीजन की जो मात्रा शरीर के लिए जरूरी है वह या तो शरीर को प्राप्त नहीं हो पा रही है अथवा शरीर की ऑक्सीजन ग्राह्यता क्षमता किसी कारण से कम हो गई है। कई बार अंधेरे कमरों, बंद कमरों में बैठने वाले लोगों को अक्सर उबासियाँ ज्यादा आती हैं। इसलिए जहां कहीं रहें वहां इस बात का ध्यान रखें कि अपने रहने का स्थान अच्छा हवादार होना चाहिए जहां ताजी हवा का आवागमन निरन्तर बना रहना चाहिए। ताजी ऑक्सीजन भरी हवाओं की कमी की वजह से ही उबासियां आती हैं और रात को सोते समय नींद में सपने भी खूब आते हैं और नींद पूरी नहीं होने की शिकायत बनी रहती है। मनुष्य के शरीर में विभिन्न विजातीय द्रव्यों और अनावश्यक प्रदूषित गैसों की भरमार रहती है और ऎसे में ये दूषित गैसें समय-समय पर उबासियों के रूप में बाहर निकलती रहती हैं। इसके साथ ही उबासियां आने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि यह शरीर के भीतर प्रवेश कर चुकी मलीनताओं की वजह से भी होती है। जो लोग हराम की खाने-पीने के आदी हो चुके हैं अथवा बाहर का दूषित खान-पान जिन्हें रास आ गया है, ऎसे लोगों को अपेक्षाकृत ज्यादा उबासियां आती हैंं। उबासियों का सबसे बड़ा कारण असंयम है। यह भी देखा गया है कि कामुक लोेगों को सबसे ज्यादा उबासियां आती हैं। लोगों को उबासियां आने के तरीके भी विचित्र हैं। कई लोग पूरा मुँह खोलकर जोरों से आवाज करते हुए ऎसे उबासियाँ लेते रहते हैं जैसे कोई बड़ा लड्डू सामने हो और पूरा मुँह फाड़ने के लिए किसी ने धमका रखा हो।
इनका उबासियां लेने का तरीका ही ऎसा रहता है कि आस-पास के सारे लोगों को पता चल जाता है कि कहीं बेरहमी और बेशरमी से कोई मुँह फाड़ रहा है। यह तरीका इतना भद्दा होता है कि सामने वाले लोगों का जी चाहता है कि दो-चार थप्पड़ कस कर ऎसे टिका दें कि अगली बार इस कदर उबासी लेना तक भूल जाए। उबासी आए तब भी किसी को पता नहीं लगना चाहिए। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि जब भी उबासी आए, तुरन्त चुटकी बजाए अन्यथा यह उबासी भरी नकारात्मक गैसें और तरंगें अपने आस-पास ही घूमती रहती हैं और जो लोग हमारे आस-पास होते हैं उन्हें भी अचानक आलस्य घेरने लगता है। उबासी आने का सीधा सा मतलब यही है कि जो उबासी ले रहा है उसकी मानसिक एवं शारीरिक स्थिति ठीक नहीं है और वह विषैली गैसों या प्रदूषित माहौल से घिरा हुआ है। उबासी लेने के आदी लोगों में एक और आदत देखी जाती है। इन लोगों को कहीं भी बैठे-बैठे या बातचीत करते-करते अचानक नींद आ जाती है और ये नींद के आगोश में ऎसे खो जाते हैं जैसे बरसों से सोये नहीं हों। इस किस्म के लोगों को पर्याप्त नींद लेनी चाहिए अन्यथा यह बीमारी कभी भी घातक मोड़ पर पहुंच सकती है। जोरों से उबासियां लेने वाले और पूरा मुँह फाड़ने वाले लोगों का यह व्यवहार इनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी कमी के रूप में जाना जाता है। हालांकि संपर्कित और परिचित लोग इन उबासियों को देख कर कुछ कहने का साहस भले न कर पाएं, मगर मन ही मन इनके प्रति गुस्सा आए बगैर नहीं रह सकता।
कई बार व्यक्ति गंदे रास्तों और गलियों से होकर गुजरता है। ऎसे में स्थान विशेष की गंदगी और प्रदूषण वायु रूप से शरीर में प्रवेश कर जाता है और बार-बार उबासियां आने लगती हैं। ऎसे में जब भी उबासी आए तब चुटकी बजाने से आराम मिलता है और उबासियां बंद हो जाती हैं। प्रायःतर यह भी देखा जाता है कि जब लोग पूजा-पाठ या कोई साधना करते हैं अथवा मन्दिरों-देवरों में जाते हैं, उस समय कई लोगों को अपने आप उबासियां आनी शुरू हो जाती हैं। यह उबासियां इस बात का प्रतीक हैं कि उनके शरीर में कहीं न कहीं कोई गंदी-प्रदूषित हवा घुसी हुई है और जैसे ही से सकारात्मक माहौल में आते हैं अथवा सकारात्मक कार्य करते हैं उस समय शरीरस्थ नकारात्मकता उबासियों के रूप में बाहर निकलती है। ये उबासियां सामान्यतः उन लोगों को आती हैं जो बैठे या सोये रहने का काम ज्यादा करते हैं और मेहनत का काम बहुत कम। ऎसे लोगों के शरीर में विभिन्न अंग-उपांगों में जड़ता या स्थिरता की वजह से अन्तःस्थ नाड़ियों में दूषित वायु का जमावड़ा बना रहता है और इस कारण जब भी ये कोई हलचल शुरू करते हैं तब शरीर का थोड़ा-बहुत व्यायाम होने से अंगों का संचालन तेजी पकड़ता है और ऎसे में इनके भीतर जमा वायु बाहर निकलने का प्रयास करती है और इस वायु के लिए निर्गमन का सर्वाधिक उपयुक्त और सहज द्वार होता है अपना मुँह। अक्सर उबासियां उन लोगों को भी ज्यादा आती हैं जो फालतू होते हैं या बातूनी।
उबासियां लेने वाले लोगों की उबासी से भले-चंगे व्यक्ति में भी आलस्य का भाव आ सकता है। इसलिए हमेशा ऎसे लोगों से उचित दूरी बनाये रखें जो उबासियां लेने के आदी हों और उनका उबासी लेने का तरीका भी अभद्र हो। उबासियां लोगों की मौजूदगी में यात्रा और दिमागी कामों को नहीं करना चाहिए। ऎसे लोगों को मरीजों के पास भी ज्यादा देर तक नहीं बैठने देना चाहिए। किसी भी काम को करते वक्त उबासियों का आना नकारात्मकता को इंगित करता है और ऎसे में उबासियों के आदी लोगों को हमेशा दूर रखा जाना चाहिए ताकि हमारे किसी भी कर्म में कोई बाधा नहीं आए और सफलता प्राप्त हो। जिन लोगों को लगातार उबासी का दौर बना रहता हो उन्हें अपने खान-पान, नींद और मेहनत पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए और उन सभी कारणों को दूर करना चाहिए जिनकी वजह से उबासियां बार-बार घेरती रहती हैं। अन्यथा ऎसे उबासियां लोगों के काम कभी भी समय पर पूर्ण नहीं हो पाते तथा इनके कामों में सफलता हमेशा संदिग्ध हुआ करती है। उबासियों से जितनी जल्द हो मुक्ति पाने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि हमारे जीवन में ये उबासियां गति अवरोधक की तरह हर कहीं पीछे लगी रहती हैं।
---डॉ. दीपक आचार्य---
9413306077
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