सीबीआई 3,600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कथित रिश्वतखोरी के मामले के अभियुक्तों के वित्तीय लेनदेन की जानकारी पाने के लिए कम से कम चार देशों को न्यायिक अनुरोध भेज सकती है। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि वे अनुरोध पत्रों के जरिये उठाए जाने वाले मुद्दे तय करने के लिये सामग्री का विशलेषण कर रहे हैं।
ये एलआर (न्यायिक अनुरोध) ब्रिटेन, इटली, मॉरिशस और टयूनीशिया को भेजे जाने हैं, जिनमें एजेंसी अपनी प्राथमिकी में नामित की गयी कंपनियों और व्यक्तियों की ओर से किये गये वित्तीय लेनदेन की जानकारी मांगेगी। गौरतलब है कि सीबीआई ने पिछले हफ्ते पूर्व एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी समेत 12 अन्य लोगों के खिलाफ इस सौदे में कथित धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के मामले दर्ज कर उनके आवास समेत 14 ठिकानों पर छापे मारे।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि एजेंसी को इस कथित रिश्वत के मामले में धन के लेनदेन, जो इन देशों से भारत पहुंचाया गया, की जांच के लिए इन देशों के जवाब की जरूरत होगी। एजेंसी के सूत्रों के अनुसार एजेंसी ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि दलाल गुइदो हाशके ने ट्यूनिशिया स्थित अपनी कंपनी गॉर्डियन सर्विसेज सार्ल के जरिए अगस्ता वेस्टलैंड के साथ 2004-05 से कई परामर्श करार किए और इसी के साथ-साथ उसने त्यागी के भाइयों के साथ भी परामर्श करार किए। हाशके ने इन करारों के नाम पर कथित तौर पर त्यागी बंधुओं को 1.26 लाख यूरो और दो लाख यूरो भेजे।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि हाशके एवं कालरेस गेरोसा मोहाली स्थित आईडीएस इन्फोटेक और चंडीगढ़ स्थित एयरोमेट्रिक इन्फो साल्युशंस प्राइवेट लिमिटेड के जरिये भारत में 56 लाख यूरो भेजने में सफल हुए। इन लोगों ने बाकी की लगभग दो करोड़ 43 लाख यूरो की रकम अपनी आईडीएस ट्यूनीशिया के खाते में रख ली, जो उन्हें अगस्ता वेस्टलैंड से मिली। इसमें कहा गया, इस रकम का एक हिस्सा मॉरिशस एवं हवाला के जरिये भारत में भेजा गया ताकि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदा अगस्तावेस्टलैंड के लिए हासिल करने की रिश्वत दी जा सके।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें