बिहार में लगभग सभी प्रदर्शनों में रेलवे की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है, जिससे देश को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। पिछले छह महीने में 2,374 रेलगाड़ियों का परिचालन बाधित हुआ है। एक अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शन चाहे राजनेताओं का हो या छात्रों का, रेलगाड़ियों में आग लगा दी जाती है। रेलगाड़ियों को रद्द करना पड़ता है और यहां तक कि रेलवे कर्मचारियों को भी नहीं बख्शा जाता। पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर)के जनसम्पर्क अधिकारी अमिताभ प्रभाकर ने कहा, "प्रदर्शन और विरोध की वजह से पिछले छह महीने में 2,374 रेलगाड़ियां प्रभावित हुई हैं है। यह गम्भीर चिंता का विषय है।"
प्रदर्शनकारियों ने सितम्बर में 349, अक्टूबर में 425 , नवम्बर में 360, दिसम्बर में 452, जनवरी में 348 और फरवरी में 440 रेलगाड़ियों को निशाना बनाया है। एक अधिकारी ने कहा, "हम यह नहीं समझ पाए हैं कि प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले अपने समर्थकों को रेलगाड़ियों को निशाना बनाने की अनुमति क्यों देते हैं?"
रेलवे अधिकारी इस बात से दुखी हैं कि रेलगाड़ियों को जबरन बंद कराने के दौरान सुरक्षाकर्मी अकसर मूकदर्शक बने रहते हैं। एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, "बिहार में छात्रों द्वारा रेलवे सेवा बाधित करना आम बात है, जबकि रेलवे का उनकी समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं होता।" ऐसा करने वालों में महिला प्रदर्शनकारी भी शामिल रहती हैं।
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