संसद ने गुरुवार को दुष्कर्म रोधी विधेयक को पारित कर दिया। विधेयक में यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र 18 वर्ष रखी गई है, जबकि घूरने और पीछा करने को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2013 को लोकसभा ने मंगलवार को ही मंजूर कर दिया था। गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने राज्य सभा में विधेयक पेश किया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी. राजा ने आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश को नामंजूर करने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने नामंजूर कर दिया। यह विधेयक उसी अध्यादेश की जगह लेगा। विधेयक पर मतदान के समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी राज्य सभा में मौजूद थे।
दुष्कर्म रोधी विधेयक राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 3 फरवरी को जारी की गई अधिसूचना की जगह लेगा। नियमत: सरकार को 4 अप्रैल से पहले कानून पारित करा लेने की अनिवार्यता थी क्योंकि उस तारीख के बाद अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाती।
दुष्कर्म और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए कड़े दंड की मांग के मुद्दे ने राजधानी में चलती बस में पिछले साल दिसंबर महीने में हुए क्रूरतम सामूहिक दुष्कर्म के बाद जोर पकड़ लिया था। दुष्कर्म पीड़िता की 13 दिनों बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई।

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