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मंगलवार, 19 मार्च 2013

DMK के अलग होने से UPA मुश्किल में


कांग्रेस नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और इसकी सरकार से द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के अलग हो जाने से लोकसभा में संप्रग सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सरकार हालांकि अभी भी बहुमत में है। संप्रग के प्रमुख घटक दलों में कांग्रेस (203), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (नौ), राष्ट्रीय लोक दल (पांच) और नेशनल कांफ्रेंस (तीन) को मिलाकर 545 सदस्यीय लोकसभा में संप्रग के पास कुल 220 सदस्य होते हैं। डीएमके के 18 सांसदों के साथ यह आकड़ा 238 था।

इसके अतिरिक्त संप्रग को 22 सांसदों वाली समाजवादी पार्टी (सपा), 21 सांसदों के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तीन सांसदों वाले जनता दल (सेकुलर) तथा तीन सांसदों वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को मिलाकर कुल 49 सांसदों का बाहर से समर्थन प्राप्त है। राजनीतिक सूत्रों ने बताया कि संप्रग को स्वतंत्र एवं छोटे दलों के कुल आठ सांसदों का भी समर्थन है, जो इसे सरकार बनाने के लिए जरूरी लोकसभा में 271 सांसदों की सीमा से ऊपर ले जाते हैं। लोकसभा की चार सीटें अभी रिक्त हैं।

पिछले वर्ष तृणमूल कांग्रेस एफडीआई तथा अन्य कई मुद्दों पर संप्रग से अलग हो गई थी। डीएमके मंगलवार को श्रीलंका के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत के रुख से निराशा व्यक्त करते हुए संप्रग से अलग हो गई।

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