उत्तराखंड की खबर (12 अप्रैल) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

उत्तराखंड की खबर (12 अप्रैल)


राज्य आंदोलनकारी और राज्य आंदोलनकारियों की नजर में विलेन के बीच होगी जंग!

देहरादून, 12 अप्रैल। राजधानी देहरादून की प्रतिष्ठित मेयर के चुनाव के लिए राजनीति की बिसात पर मोहरें सज गए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने जहां वर्तमान मेयर विनोद चमोली पर दांव खेला है, तो वहीं पसोपेश में फंसी कांग्रेस ने आखिरकार सूर्यकांत धस्माना पर दांव लगाया है, वहीं बसपा ने 2008 में हुए मेयर चुनाव में रनरअप रही किन्नर रजनी रावत को मैदान में उतारा है। शुक्रवार को नामांकन के अंतिम दिन भाजपा और कांग्रेस ने अपने मेयर के प्रत्याशियों की घोषणा की। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह चुनाव इस बार जहां राज्य आंदोलनकारी रहे विनोद चमोली और राज्य आंदोलनकारियों की नजर में विलेन सूर्यकांत धस्माना के बीच होगा। 
    
राजधानी देहरादून में जैसे-जैसे मौसम में तपिश बढ़ रही है, ठीक उसी तरह राजधानी में राजनीति का पारा भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने 2008 में निर्वाचित विनोद चमोली को प्रत्याशी बनाया है, जिन्हें 2008 में 60867 मत मिले थे और वे दूसरे मेयर बने थे। इससे पहले कांग्रेस की मनोरमा शर्मा डोबरियाल ने पहली बार मेयर के लिए हुए चुनाव में राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी को शिकस्त दी थी। पहली बार 2003 में हुए मेयर के चुनाव में देहरादून नगर निगम में मेयर का पद महिला आरक्षित किया गया था, इसमें जहां कांग्रेस की ओर से मनोरमा शर्मा डोबरियाल ने विजय हासिल की थी, वहीं राज्य आंदोलनकारी रही सुशीला बलूनी दूसरे स्थान पर रही थी और भाजपा की मेयर प्रत्याशी विनोद उनियाल को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था।  2008 में हुए मेयर के चुनाव में वर्तमान में बसपा से चुनाव लड़ रही किन्नर रजनी रावत को 44294 मत मिले थे और वे दूसरे नंबर पर रही थी। इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अधिवक्ता सूरत सिंह नेगी ने चुनाव लड़ा था, जिन्हें 40642 मत प्राप्त हुए थे और वे तीसरे नंबर पर रहे थे। राज्य बनने के बाद 2003 में हुए चुनाव में भाजपा को तीसरा स्थान मिला था। इसके बाद 2008 में विनोद चमोली ने मेयर का चुनाव जीता। इस बार टिकट की दौड़ में भाजपा की ओर से जहां विनोद चमोली सहित, अनिल गोयल और उमेश अग्रवाल थे, तो वहीं कांग्रेस की ओर से सूर्यकांत धस्माना सहित पूर्व मेयर मनोरमा शर्मा डोबरियाल, अधिवक्ता सूरत सिंह रावत, लालचंद शर्मा और नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रहे अशोक वर्मा थे। काफी जद्दोजहद के बाद भाजपा से पहले शुक्रवार को कांग्रेस ने नामांकन के आखिरी दिन सभी दावेदारों को दरकिनार करते हुए सूर्यकांत धस्माना के नाम पर मुहर लगा दी, जबकि भाजपा ने विनोद चमोली के नाम पर। 
    
गौरतलब हो कि विनोद चमोली अपने शुरूआती दिनों से विद्यार्थी परिषद से होते हुए युवा मोर्चा और भाजपा में लगातार सक्रिय रहे हैं, जबकि सूर्यकांत धस्माना का राजनैतिक जीवन कम उतार-चढ़ाव वाला नहीं रहा, डीएवी कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष के चुनाव लड़ने के बाद वे राज्य आंदोलन के दौरान समाजवादी पार्टी में रहे और इसके बाद उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का जिम्मा भी संभाला, कुछ ही साल पहले उन्होंने कांग्रेस दामन थामा था, इस दौरान कांग्रेस में उनको लेने को लेकर काफी विवाद भी रहा, लेकिन वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य और कुछ अन्य नेताओं से नजदीकी के चलते उन्हें कांग्रेस में समयोजित कर उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष का जिम्मा दे दिया गया। 
    
राजधानी की जनता दोनों ही दलों के प्रत्याशियों की घोषणा पर नजर रखे हुए थी, पर्वतीय जनमानस बाहुल्य राजधानी क्षेत्र में तीनों ही प्रत्याशी पर्वतीय पृष्ठभूमि के हैं और तीनों ही पौड़ी जनपद के प्रवासी हैं। राज्य आंदोलन के लिए हालांकि अभी तक किन्नर प्रत्याशी रजनी रावत का कोई योगदान सामने नहीं आया है, लेकिन राज्य आंदोलन के दौरान सक्रिय भूमिका निभाने वाले विनोद चमोली पर तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार ने एनएसए और मीसा जैसी धाराएं लगाकर उन्हें प्रताड़ित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। यही कारण है कि राज्य आंदोलन के दौरान विनोद चमोली राजधानी देहरादून क्षेत्र छोड़कर कई दिनों तक अज्ञातवास में रहे थे। राजनैतिक विश्लेषकों और राज्य आंदोलनकारियों के अनुसार अब यह चुनाव और भी प्रतिष्ठापूर्ण हो गया है, जहां तक कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी की बात की जाए तो उन पर राज्य आंदोलनकारियों के विरोध का धब्बा है, क्योंकि राज्य आंदोलन के दौरान उनके करनपुर स्थित आवास से आंदोलनकारियों पर गोलीबारी हुई थी, जिसमें राज्य आंदोलनकारी राजेश रावत की मौत हो गई थी, हालांकि यह मामला सीबीआई न्यायालय में चलने के बाद गवाहों के बयान से पलट जाने के बाद सात जून 2012 को धस्माना को बरी कर दिया गया था, लेकिन राज्य आंदोलनकारियों और पहाड़ के जनमानस के बीच में उनकी छवि आज भी विलेन की है। 

राहुल की मुहिम से पशोपेश में सूबे के कांग्रेसी नेता

देहरादून, 12 अप्रैल । कांग्रेस के हाईकमान स्तर से वंशवाद के खिलाफ शुरू हुई मुहिम ने राज्य के तमाम बड़े दिग्गजों को पशोपेश में डाल दिया है। जिन नेताओं के पुत्र और पुत्रियां ने आने वाले समय में राजनीति में अपना सपना संजोए बैठे थे, उनके सपनों को कांग्रेस हाईकमान ने चकनाचूर कर दिया है और हाईकमान के निर्णय से सूबे के कांग्रेसी नेताओं को करार झटका लगा है।

कांग्रेस प्रदेश प्रभारी वीरेन्द्र चौधरी द्वारा बीते दिन जब यह घोषणा की गई कि किसी भी नेता के ब्लड रिलेशन को टिकट नहीं दिया जायेगा तो सूबे के नेताओं के पैरों से जमीन खिसक गई। कंाग्रेस के आधा दर्जन नेताओं के पुत्र और पुत्रियांे राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने को आतुर थे, लेकिन अंतिम ऐन वक्त पर हाईकमान के इस फरमान से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया। स्थिति यह रही कि कैबिनेट मंत्राी इंदिरा हृदयेश के बेटे सुमित हृदयेश जिनका नाम हल्द्वानी नगर निगम मेयर प्रत्याशी के लिए लगभग फाइनल था, अंतिम समय में काट दिया गया। अब कांग्रेस ने यहां से हेमंत बगड़वाल को प्रत्याशी बनाया गया है। यहीं नहीं सांसद हरीश रावत, सतपाल महाराज, गोविंद कंुजवाल, विजय बहुगुणा, यशपाल आर्य, महेन्द्र सिंह कंुजवाल सहित दर्जन भर नेताओं के पुत्र और पुत्रियां सक्रिय राजनीति में आने के लिए उत्सुक होकर बैंठे है, लेकिन हाईकमान के निर्णय ने उनके इन मंसूबों पर पानी फेर दिया है। 

उल्लेखनीय हो कि कुछ समय पहले मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत बहुगुणा को टिहरी लोकसभा उपचुनाव मे प्रत्याशी बनाया गया था। केन्द्रीय राजनीति में दर्जनों नेता पुत्र सांसद और मंत्री है। राहुल गांधी द्वारा वंशवाद रोकने के लिए संागठानिक चुनावों की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है लेकिन इसके परिणाम आने वाले समय में ही पता चल सकेगे। फिलहाल हाईकमान के इस निर्णय को लागू किये जाने से प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भारी मायूसी हुई है निकाय चुनावों में विधानसभा अध्यक्ष के भतीजे एवं कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदयेश के बेटे सहित कई दिग्गज नेताओं के पुत्र और पुत्री के साथ ही रिश्तेदार टिकट के दावेदार थे जिन्हें इस निर्णय के कारण चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है। 

चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ की हड़ताल जारी

देहरादून, 12 अप्रैल । उत्तराखंड चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ की अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल जारी है। हड़ताली कर्मचारियों ने धरना स्थल पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि कांग्रेस सरकार को उसके अड़ियल रवैये का जवाब निकाय चुनाव में मिल जाएगा। 

उत्तराखंड चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ से जुड़े कर्मचारी लैंसडाउन चौक के पास पुराने रायपुर बस अड्डे पर पिछले कई दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते विभिन्न विभागों में कार्य प्रभावित हो रहा है। धरने में विभिन्न जिलों से आए कई विभागों के चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी शामिल हुए। चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ का कहना है कि केंद्र के समान वेतनमान 5200-20200 ग्रेड पे 1800 का वास्तविक लाभ एक जनवरी 2004 से भारत सरकार के नियमों एवं शर्तों के तहत अनुमन्य किया जाए। शासनादेश के तहत अन्य संवर्गों की भांति सुनिश्चित कैरियर पोनन्नयन एसीपी का लाभ 1 सितंबर 2008 से वास्तविक रूप से अनुमन्य किया जाए। 

पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश द्वारा जारी शासनादेश 22 दिसंबर 2011 के द्वारा एसीपी की व्यवस्था में संशोधन करते हुए प्रथम एसीपी ग्रेड पे 1900 अनुमन्य होने के उपरांत द्वितीय एसीपी की अनुमन्यता के लिए ग्रेड पे 2000 को नजरअंदाज करते हुए ग्रेड पे 2400 और तृतीय एसीपी ग्रेड पे 2800 अनुमन्य किया जा चुका है। उत्तराखंड के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी द्वितीय एसीपी ग्रेड पे 2400 और तृतीय एसीपी ग्रेड पे 2800 अनुमन्य किया जाए। महासंघ का कहना है कि विभिन्न कार्यालयों में कार्य पभावित सीजनल संग्रह परिचारक से नियमित होने पर कार्य प्रभावित सीजनल सेवाओं का लाभ दिया जाए। जिला परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालयों में समायोजन की तिथि से सेवा गणना की जाए।

शिक्षामित्र के रूप में समायोजित न किए जाने से रोष

देहरादून, 12 अप्रैल। शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक संगष्न का स्नातक योग्यताधारी शिक्षा आचार्यों एवं अनुदेशकों को शिक्षामित्र के रूप में समायोजित करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना जारी है। शिक्षामित्र के रूप में समायोजित न किए जाने से शिक्षा आचार्यों और अनुदेशकों में सरकार के पति रोष व्याप्त है।

शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक संगठन द्वारा हिंदी भवन के पास पुराना रायपुर बस स्टैंड पर धरना दिया जा रहा है। शिक्षा आचार्यों का कहना है कि ईजीएस एवं एआईई सेंटरों में कार्य कर चुके शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक वर्ष 2008 से अपनी एक सूत्री मांग को लेकर आंदोलनरत हैं लेकिन सरकार द्वारा इस दिशा में कोई कदम नहीं उषया गया। सरकार की अनदेखी से हटाए गए शिक्षा आचार्य और अनुदेशकों में रोष व्याप्त है। सरकार द्वारा वर्ष 2008 में ईजीएस एवं एआईई सेंटरों को बंद कर दिया गया था। ईजीएस एवं एआईई सेंटरों को बंद किए जाने से इनमें कार्यरत 1745 शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक बेरोजगार हो गए थे। सरकार ने 18 जुलाई 2010 को शासनादेश जारी कर पथम चरण में स्नातक योग्यताधारी 1,107 शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशकों को शिक्षामित्र के रिक्त पदों पर वरिष्ठता के आधार पर आरक्षण के पाविधानों के अनुरूप समायोजित कर दिया था लेकिन जो शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशक रह गए थे उन्हें अभी तक समायोजित नहीं किया गया है। वर्ष 2011-12 तक स्नातक योग्यता हासिल करने वाले 1,745 शिक्षा आचार्यों एवं अनुदेशकों को शीघ्र शिक्षामित्र के रूप में समायोजित किया जाए। शिक्षामित्र के पदों पर समायोजित न किए जाने से ईजीएस एवं एआईई सेंटरों को बंद किए जाने से बेरोजगार हुए शिक्षा आचार्य एवं अनुदेशकों के समक्ष आजीविका का संकट पैदा हो गया है।

बुक डिपों में आग लगने से लाखों का नुकसान

देहरादून, 12 अप्रैल। शारदा बुक डिपों में गुरूवार रात करनपुर में लगी भीषण आग में लाखों की किताबें, कॉपियां और फर्नीचर आदि जलकर खाक हो गये। इस अग्निकांड में बिल्डिंग को भी भारी नुकसान पंहुचा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह दुर्घटना बीती रात 12 बजे के बाद घटित हुई शॉट सर्किट से लगी इस आग को काबू करने के लिए फायर ब्रिगेड की चार गाडियों को चार घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी तब कहीं जाकर आग को बुझाया जा सका। लेकिन तब तक बुक डिपों के अंदर जो कुछ भी था सब कुछ जलकर राख हो गया था दुकान मालिक के अनुसार इस अग्निकांड में 40 लाख रुपये की कीमत की किताबें, फोटोस्टेट मशीन, लैमिनेशन, फैक्स मशीन और अन्य बिजली के उपकरणांे सहित 1.20 लाख का कैश भी जलकर राख हो गया आग इतनी भीषण थी कि दुकान की दीवारे और लैंटर तक पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी। इस दुकान के उपर आवासीय भवन है जैसे ही आग लगी उसकी तुंरत ही जानकारी तो मिल गयी लेकिन फायर ब्रिगेड और दुकान के मलिक को सूचना देने और उनके पंहुचने तक आग इतना विकराल रूप धारण कर चुकी थी कि दुकान के शटर तक भी पंहुच पाना भी लोगों के लिए संभव नहीं था दुकान का शटर तोड़ने के लिए घंटों मशक्कत करनी पड़ी और दुकान के अंदर आग धधकती रही। जैसे-तैसे दुकान के शटर को तोड़ा जा सका लेकिन तब तक घंटो का समय बीत गया था आग इतनी विकराल हो चुकी थी कि पूरे आसमान पर धुंए के बादल छा गये और मौके पर मौजूद चार फायर ब्रिगेड की गाडियों को चार घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी तब कहीं जाकर आग पर काबू पाया जा सका। इस भीषण अग्निकांड के कारण दुकान के अंदर कोई एक भी सामान सुरक्षित नहीं बचा था और सब कुछ जलकर खाक हो चुका था हालांकि दुकान के स्वामी द्वारा अनुमानित नुकसान 50 लाख से उपर का बताया गया है लेकिन इस अग्निकांड में कम से कम 25 लाख रुपये की क्षति हुई है। डीएवी कॉलेज के ठीक सामने बना यह शारद बुक डिपो क्षेत्र की सबसे बड़ी और सबसे पुराना बुक डिपो था। आग लगने के कारणों के बारे में कोई निश्चित जानकारी तो नहीं है लेकिन इस अग्निकांड के पीछे शॅाट सर्किट ही अहम कारण बताया जा रहा है। दुकान के मलिक ने शासन-प्रशासन से क्षतिपूर्ति के लिए गुहार की है वहीं सूचना मिलने पर शुक्रवार सुबह मौके पर पंहुचे क्षेत्रीय विधायक राजकुमार ने भी दुकान स्वामी को मदद का आश्वासन दिया है।

केंद्रीय योजनाओं की जानकारी ली

देहरादून, 12 अप्रैल। शुक्रवार को केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने केन्द्र द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की प्रगति और उन पर व्यय किये जा रहे धन के बारे में राज्य सरकार से जानकारियां ली। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कैंप कार्यालय पंहुचे केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की तथा राज्य योजना आयोग के कार्यालय जाकर मुख्यमंत्री और अधिकारियों से केन्द्रीय योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। जानकारी के मुताबिक राजीव शुक्ला केन्द्रीय अधिकारियों के एक दल के साथ शुक्रवार को दून पंहुचे इस अवसर पर उन्होंने मुख्यमंत्री और राज्य योजना आयोग के अधिकारियों से मिलकर जहां एक ओर केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही उनकी प्रगति एवं उन पर खर्च किये गये धन का ब्यौरा जुटाया यहीं नहीं आने वाले समय में विभिन्न केन्द्रीय योजनाओं में सरकार को कितने धन की जरूरत है इस बाबत भी केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री और अधिकारियों से विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव आलोक जैन सहित राज्य के कई अधिकारी भी मौजूद रहे वहीं कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल सहित कई मंत्री भी उपस्थित थे।

दो सटोरियों को किया गिरफ्तार, दो लाख से अधिक बरामद

देहरादून, 12 अप्रैल। एसओजी टीम ने दो सटोरियों को कोतवाली पुलिस के नेतृत्व में गिरफ्तार कर उनके पास से 2.09210 रुपये की नगदी बरामद की है। पुलिस कप्तान ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि कोतवाली क्षेत्र में सट्टेबाजी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत गुरूवार देर रात अमित कुमार पुत्र राम कुमार अग्रवाल निवासी संजय कॉलोनी तथा संदीप शर्मा पुत्र राधाकृष्ण शर्मा को तिलक रोड देहरादून के एक गोदाम के अंदर पर्चियों, लैपटॉप और मोबाइल के साथ गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किये गये लोगों से 8मोबाइल 2.09210 रुपये बरामद किये गये है दोनों ही अभियुक्तों को अदालत में पेशकर जेल भेज दिया गया है। उनके द्वारा वर्तमान समय में चल रही आईपीएल के क्रिकेट मैचों पर सट्टा लगाने की बात सामने आयी है। संदीप सट्टेबाजी के आरोप में पहले भी पकड़ा जा चुका है। पुलिस टीम मे हरीश चन्द्र सती, राजेश मलिक, अजय शाह, विपुल कुमार, अमित कुमार आदि शामिल थे।





 (राजेन्द्र जोशी)

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