- - वर्ष 1997 के रेलवे बजट में तत्कालीन रेलमंत्री नीतीष कुमार ने न सिर्फ प्रस्तावित रेल ओवरब्रिज निर्माण कार्य को हरी झंडी दिखाई थी, बल्कि षहर के इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 12 करोड़ की राषि भी निर्धारित की थी
- - रेलवे बजट में प्रस्तावित रेल ओवरब्रिज का निर्माण कार्य अब तक षुरु नहीं हो पाया है, लोगों ने उठाई अपने हक़ की आवाज़
सहरसा: वर्ष 1997 से महज आश्वासन की घूंटी पी रहे सहरसा वासी अब आर पार की लड़ाई के मूड में हैं। विकास की बात पर अब उन्हें आश्वासन पसंद नहीं, तभी तो कभी प्रशासन को लिखित आवेदन देकर तो कभी सड़क मार्च कर अपने हक़ की आवाज उठाने से भी नहीं चूक रहे। बात दरअसल रेल ओवरब्रिज मामले की है जो अब शहर के लिए नासूर बनती जा रही है। सड़कों पर लगातार बढ़ रही गाडि़यों की तादाद व जाम की समस्या ने जहां लोगों की मुष्किलें बढ़ा दी हैं, वहीं प्रशासन व स्थानीय सफेदपोश महज आश्वासन परोस लोगों को बहलाने का ही काम कर रहे हैं। बता दें कि वर्ष 1997 के रेलवे बजट में तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने न सिर्फ प्रस्तावित रेल ओवरब्रिज निर्माण कार्य को हरी झंडी दिखाई थी, बल्कि शहर के इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 12 करोड़ की राशि निर्धारित की थी। जिसके बाद लोगों को लगने लगा था कि अब शायद सड़कों पर जाम की समस्या नहीं रहेगी, लेकिन ऐसा हो न सका। तब से लेकर अब तक शहर के इस बेहद महत्वपूर्ण योजना का करीब दो बार शिलान्यास हो चुका है, लेकिन निर्माण कार्य की जब बारी आती है तो रेल प्रशासन कभी बिहार सरकार तो कभी एनएचएआई के पाले गंेद फेंक पल्ला झाड़ लेने में मशगूल है। केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से भी कुछ खास कवायद नहीं की जा रही है। हालांकि शहर के विधायक आलोक रंजन झा मसले को गंभीरता से ले रहे हैं और विधानसभा पटल पर भी मांग को रखी है।
मिली जानकारी अनुसार बंगाली बाजार रेलवे ढ़ाला वर्ष 2007-08 के पिंक बुक में स्वीकृत रेलवे ओवरब्रिज का अब तक दो बार शिलान्यास हो चुका है। वर्ष 1997 में तत्कालीन रेलवे राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह एवं दूसरी बार वर्ष 05 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव इसका शिलान्यास कर चुके हैं। शिलान्यास के बाद रेलवे ने तो बाकायदा इरकान कंपनी को टेंडर भी दे दिया था, लेकिन 14 वर्ष बाद भी स्थिति जस की तस ही बनी हुई है। सड़कों पर हर वक्त जाम का रैला लगा रहता है। शहर के बीचोंबीच से गुजरती सहरसा-फारबिसगंज छोटी रेल लाइन के कारण शहर की पूरी आबादी लगभग दो हिस्सों में विभक्त है। अक्सर लोगों को पूरब बाजार व रेलवे लाइन के पष्चिम भाग में आना जाना लगा रहता है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जाम की वजह से आमजनों को कितनी मुष्किलें पेष आती होंगी। बता दें कि बंगाली बाजार रेलवे ढाला, गंगजला चैक रेलवे ढ़ाला और कचहरी रेलवे ढ़ाला पर जाम की समस्या अब आम हो चुकी है। यही नहीं षहर के बीचोंबीच गंगजला रेलवे रैक प्वाइंट बनने के बाद मालगाड़ी के आने जाने से भी समस्या बढ़ती ही जा रही है। गत दिनों सहरसा दौरे पर आये डीआरएम व रेल के अन्य उच्च पदस्थ पदाधिकारियों ने बिहार सरकार पर जिम्मेवारी फेंकते हुए कहा था कि बिहार सरकार ब्रिज निर्माण के लिए अपने हिस्से की 60 फीसदी जमीन दे तो कार्य षुरु हो जाएगा। उधर, प्रषासनिक सूत्रों की मानें तो जिला प्रषासन की ओर से ब्रिज निर्माण संबंधी कुछ खास पहल नहीं की जा रही है। सूत्रों की माने तो प्रषासन ने ओवरब्रिज निर्माण को लेकर एनओसी दे दिया है और कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही इस दिषा में सार्थक पहल की जाएगी। उल्लेखनीय है कि जिस जमीन पर ओवरब्रिज निर्माण होना है उसका बड़ा हिस्सा अभी अतिक्रमित है। इसे मुक्त कराने के प्रति स्थानीय प्रषासन उदासीन बना है। उदासीनता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरेआम रेलवे पटरी पर रेहडि़यां लगाई जाती हैं और वाहन चालकों यहां तक कि राहगीरों को भी काफी परेषानी होती है। अक्सर रेहड़ी लगाने वालांे से राहगीरों की झड़प भी हो जाती है। क्षेत्र की स्थिति उस वक्त बेहद नारकीय हो जाती है जब सहरसा जंक्षन पर दूर दराज की ट्रेन आकर रुकती है। रेलवे ढ़ाला गिरने के बाद गाडि़यों की लंबी कतार व आमजनों का रैला इस बदलते जमाने में भी जीवट मानव सभ्यता की तस्वीर तरोताजा कर देती है। वाहन चालकों को घंटों जाम से दो चार होने के बाद ही जाम से मुक्ति मिल पाती है।
हर मोर्चे पर जाने को हैं तैयार: कोसी प्रमंडल की सबसे बड़ी समस्या को लेकर विधायक व यूथ फोरम के संस्थापक नीरज कुमार सिंह (बबलू) कहते हैं कि ओवरब्रिज मामले को लेकर हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस समस्या को लेकर सरकार भी गंभीर है और रेलवे व एनएचएआई को भी इस दिषा में सार्थक पहल करनी चाहिए। इस बाबत फ्रेंड्स आफ आनंद (यूथ फ्रंट) के सदस्यों ने लिखित तौर पर प्रषासन व सरकार को आमजनों की चिंता से अवगत कराया है। फ्रंट के राजन सिंह, सरोज कुमार सिंह, अरविंद कुमार, प्रकाष कुमार, बाबुल, सत्य नारायण चैपाल, सोनू सिंह तोमर, सत्यप्रकाष का कहना है कि यदि समय रहते षहर की इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो धरना प्रदर्षन का दौर षुरु किया जाएगा। ध्यान देने वाली बात है कि रेल प्रषासन द्वारा पंचवटी चैक होकर मधेपुरा बड़ी लाइन ले जाने की घोशणा की गई है, और अभी तक ओवरब्रिज निर्माण संबंधी योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा रहा है। ऐसे में समस्या दिनोंदिन और बढ़ेगी, यह सोच लोग परेषान हैं और निदान हेतु सड़क मार्च करने को तैयार हैं।
---कुमार गौरव---
सहरसा

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