निंद आये आँखों में कैसे, जितना सोना है सो चुका हूं मैं: डाॅ. मुस्लिम
नरकटियागंज, इलाके में उर्दू अदब व जुबान की जिन्दा मिशाल फैजुल हसन फैज के नरकटियागंज आगमन पर शहर के शिवगंज स्थित आदर्श विद्यालय कैम्पस मंे एक शेरी निशस्त का आयोजन किया गया। फैजुल हसन फैज ने 1982 में अदबी संस्था “बज्म ए कहकशाँ” की स्थापना की थी। बज्म ए कहकशाँ के सेक्रेटरी जफ़र कासिमी ने एक शाम फैज साहब के नाम से काब्य बैठक का आयोजन किया, इसकेे पूर्व उर्दू के विकास पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। जिसकी अध्यक्षता फैजुल हसन फैज ने किया। उर्दू का फरोग विषय पर आयोजित गोष्ठी में बोलते हुए वक्ताओ ने उर्दू के विकास में बाधक उर्दूदाँ को बताया और कहा कि उर्दू आम लोगो की भाषा है, इसे खास लोगो ने अपनी भाषा बताकर और खास जगहो पर सिमट कर रख दिया है जिससे इसके विकास की धार कुन्द हो गयी है। नुर आलम ने कहा कि उर्दू का फरोग मीटिंग व काॅन्फ्रेन्स करने से नहीं होगा। इसे मजहब व मस्जिद की चाहरदिवारी से बाहर निकालने पर ही उर्दू का विकास संभव है। इसके लिए उर्दू के चाहने वालों को प्रश्रय देने की जरूरत है। गोष्ठी में डाॅ. मुस्लिम शहजाद, हकीम महम्मद अख्तर हुसैन घायल, महम्मद मुस्तुफा, डाॅ.नौशाद आलम, जफ़र कासिमी व अन्य ने हिस्सा लिया।
शायर अख्तर हुसैन घायल की शेर ”दमे रूखसत तेरी आँखों से आँसू निकल जाना निगाहों ने मेरी देखा है पत्थर का पिघल जाना“ बेतिया के शायर प्रो. कमरूज्जमा कमर की गजल इनकी हरकत से बिखर जाएगा घर लगता है, मुझको गैरो से नहीं अपनोें से डर लगता है। हरिद्वार मस्ताना ने हास्य कविता पति मोबाईल, पत्नी सीम कार्ड, दोनो मिले तो हुए रिचार्ज, बेटा इनकमींग तो बेटी आउटगोईंग कुछ नही ंतो मिस काॅल और जफर कासिमी की मैं हुँ माॅडर्न टीचर अपने वतन का, मिले मुझे सम्मान भारत रतन का ने लोगो को गुदगुदाया और सोचने पर विवश कर दिया कि ऐसे हालात में भारत की शिक्षा का क्या हश्र होगां। धन्यवाद ज्ञापन बज्म ए कहकशाँ के अध्यक्ष डाॅ.नौशाद आलम ने किया, जबकि संचालय प्रो. कमरूज्ज्मा कमर ने किया। कार्यक्रम मंे तिस्ना एजाज, जफर कासिमी, राजकिशोर यादव जैसे शायरों ने अपने कलाम पेश किया, डाॅ. आफताब आलम खाँ, डाॅ.फैसल सिद्धिकी, एम.एच.दिलशाद, म.मुस्तफा, नूर आलम और जफर कासिमी की भूमिका सराहनीय रही।
(अवधेश कुमार शर्मा)
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