यूपी में शिक्षा का अधिकार कानून के नाम पर खानापूर्ति! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

यूपी में शिक्षा का अधिकार कानून के नाम पर खानापूर्ति!


शिक्षा के अधिकार को मौलिक और न्यायिक अधिकारों की सूची में शामिल किए जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक स्तर में सुधार नहीं हो पा रहा है। हालत यह है कि बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजाला फैलाने वाले स्कूल खुद अंधकार में डूबे हैं। 'वॉयस ऑफ पीपुल्स' के प्रदेश भर के स्कूलों के सर्वेक्षण में यह स्याह तस्वीर उभरकर सामने आई है। इस अध्ययन के तहत 18 जिलों के 255 (215 प्राथमिक, 40 उच्च प्राथमिक) विद्यालयों पर किए गए सर्वेक्षण में विद्यालयों में ढांचागत सुविधाओं की उपलब्धता, कमरों व शौचालय की स्थिति, पीने के पानी की सुविधा, खेल के मैदान आदि की उपलब्धता व उपयोग को जानने की कोशिश की गई है। 

नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार में यह प्रावधान है कि विद्यालय में प्रत्येक शिक्षक के लिए एक कक्ष और प्रधानाध्यापक के लिए एक कक्ष अलग से होना चाहिए। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक महज 68 प्रतिशत विद्यालय ही कक्षा के मानक को पूरे कर पा रहे हंै। चार प्रतिशत विद्यालय ऐसे हंै जहां मात्र एक कक्ष है तथा एक प्रतिशत विद्यालय दो कक्ष वाले एवं तीन कक्ष वाले विद्यालय 13 प्रतिशत पाए गए। प्राथमिक विद्यालयों मे 12 प्रतिशत ऐसे भी विद्यालय है जहां चार कक्ष हैं। इन आंकड़ांे से यदि पांच कक्षीय विद्यालयों वाले 68 प्रतिशत विद्यालयों को छोड़कर देखा जाए तो लगभग 32 प्रतिशत प्राथमिक विद्यालयों में आज भी कई कक्षाआंे के बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ते हैं। वीओपी द्वारा सर्वेक्षित 40 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से मात्र 21 विद्यालय ऐसे पाए गये जहां सभी कक्षाओं में फर्नीचर है।

इसी तरह शौचालय एवं पीने का पानी को लेकर भी हालत दयनीय है। शिक्षा के अधिकार कानून के अधिसूचित होने के बाद और इसके पहले भी सर्वशिक्षा अभियान के मानदंडो में विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के लिए पृथक शौचालयों का प्रावधान किया गया है। सर्वेक्षित 255 पाठशालाओं में से 29 विद्यालयों में (लगभग 11 प्रतिशत) विद्यालय शौचालय विहीन है। 15 विद्यालयों (लगभग 6 प्रतिशत) के शौचालय पूर्णरूप से क्षतिग्रस्त हैं। 

पीने के पानी सुविधा के लिहाज से 25 ऐसे विद्यालय हैं जहां पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा छह ऐसे विद्यालय हैं जहां हैंडपंप तो मौजूद हैं लेकिन खराब हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि कुल 31 स्कूलों में पीने के पानी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। 255 विद्यालयों में 86 विद्यालय आज भी चहारदीवारी अथवा तार से घेराबंदी से विहीन पाए गए। 23 विद्यालयों की चहारदीवारी की हालत जर्जर है। 4 ऐसे विद्यालय पाए गए जहां चहारदीवारी निमार्णाधीन है। सर्वेक्षित विद्यालयों में 147 प्राथमिक विद्यालयों में सभी कक्षाओं के लिए पृथक कक्ष उपलब्ध है। लेकिन 68 प्राथमिक विद्यालयों अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है।

शिक्षा अधिकार कानून की धारा 19 के अनुसार विद्यालयों में खेल के मैदान की उपलब्धता के बारे में पाया गया कि 255 विद्यालयों में से 96 विद्यालयों में खेल का मैदान नहीं है। इसी तरह 144 विद्यालय स्टाफ रूम विहीन पाए गए व 12 विद्यालयों में आज तक रसोई घर नहीं बनाया गया। मात्र 18 विद्यालय है जहां पुस्तकालय के लिए अलग से कमरा उपलब्ध है, वहीं 237 विद्यालयों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

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