सीबीआई ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के बलीपुर गांव में पुलिस अधिकारी जिया़ उल़ हक की जान जाहिर तौर पर भीड़ ने ली थी, जो ग्राम प्रधान नन्हे यादव की मौत के बाद उग्र हो गयी थी। सीबीआई के सूत्रों ने हालांकि कहा कि ये गवाहों के बयानों के आधार पर शुरुआती निष्कर्ष हैं, लेकिन अभी तक उसकी जांच में यह बात सामने आई है कि यादव की मौत के बाद एकत्रित भीड़ ने डीएसपी हक पर हमला बोल दिया और इसमें से किसी ने उन्हें गोली मार दी जिससे उनकी मौत हो गयी।
सूत्रों ने कहा कि डीएसपी की हत्या में विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की कथित संलिप्तता के बारे में उन्हें अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन इस स्तर पर कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता और टीम मामले को सुलझाने के लिए अब भी हरसंभव साक्ष्य की तलाश में है। सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच में हक की हत्या के सिलसिले में तस्वीर थोड़ी साफ हो रही है, लेकिन नन्हे और उनके भाई सुरेश की हत्याओं के मामले में किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले अब भी गहन जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि एजेंसी ने 2 मार्च को बलीपुर में हक से पहले मारे जा चुके नन्हे और सुरेश यादव के परिजनों से पूछताछ की ताकि उस दिन के घटनाक्रम की कडिम्यों को जोड़ा जा सके।
सीबीआई को हाल ही में कुछ महत्वपूर्ण चीजें मिली थीं, जिनमें मृतक सुरेश के घर में छिपे एक बक्से से खून से सनी कारतूस की बेल्ट, गांव के एक और इलाके से रक्तरंजित लकड़ी की छड़ और सबसे अधिक अहम हक की सर्विस रिवॉल्वर है। हक कुंडा में पुलिस क्षेत्राधिकारी के तौर पर पदस्थ थे।
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