मयप्पन पर खुलासे के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष की कुर्सी जानी अब तय लग रही है। खुद बीसीसीआई में बगावत का बिगुल बज चुका है। श्रीनिवासन के नंबर दो बोर्ड के सचिव संजय जगदाले और बोर्ड के कोषाध्यक्ष अजय शिर्के ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। यही नहीं खबर है कि बीसीसीआई के पांचों उपाध्याक्ष भी देर रात तक अपना इस्तीफा दे सकते हैं।
भारत में क्रिकेट चलाने वाले बीसीसीआई चीफ एन श्रीनिवासन का खेल खत्म होने को है। अपने दामाद मयप्पन के लगाव में डूबे ससुर जी के खिलाफ बीसीसीआई में पहली बार जबरदस्त बगावत हुई। उन लोगों ने श्रीनिवासन का साथ छोड़ दिया है जो साये की तरह उनके साथ रहा करते थे। इनमें सबसे बड़ा चेहरा है संजय जगदाले का, जगदाले जो बीसीसीआई के सचिव थे। बेहद ईमानदार छवि वाले जगदाले श्रीनिवासन के बर्ताव से आहत हैं। अपने दामाद की गिरफ्तारी, फिक्सिंग और सट्टेबाजी जैसे संगीन आरोप लगने के बाद भी इस्तीफा देने से श्रीनिवासन के लगातार इनकार के भागीदार जगदाले नहीं बनना चाहते।
जगदाले के इस्तीफे को श्रीनिवासन के ताबूत पर अंतिम कील माना जा रहा है। क्योंकि जगदाले दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई में नंबर टू पर थे। वो संस्था के सचिव थे, बैठक बुलाने का अधिकार उनका था। जाहिर है उनका इस्तीफा ये बात साबित कर रहा है कि बीसीसीआई चीफ श्रीनिवासन को इस संस्था की छवि से कहीं ज्यादा अपनी और अपने दामाद की चिंता थी। दिलचस्प बात ये है कि जगदाले दो रिटायर्ड जजों के साथ स्पॉट फिक्सिंग में BCCI की जांच समिति के सदस्य थे। उनकी सबसे बड़ी खूबी उनकी बेहद ईमानदार छवि है। 1968 से 1983 के बीच जगदाले ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला। वो सेलेक्शन कमेटी के सदस्य भी रहे।
लेकिन जगदाले से पहले इस्तीफे की शुरुआत बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अजय शिर्के ने की। शिर्के ने गुरुवार रात को ही इस्तीफे की चर्चा की थी और अगले 24 घंटे के भीतर वो अपनी बात पर खरे उतरे। वो भी क्रिकेट पर लग रहे फिक्सिंग के कलंक से निराश और मायूस हैं। अजय शिर्के अक्टूबर 2011 से पद पर थे, वो लगातार श्रीनिवासन का विरोध कर रहे थे। पुणे के शिर्के को पवार खेमे का माना जाता है। इस्तीफे के लिए चौतरफा दबाव झेल रहे बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने वैसे तो बोर्ड की कार्यकारिणी की 8 जून को आपात बैठक बुलाई है। लेकिन, दो आला अधिरकारियों के इस्तीफे ने क्रिकेट की दुनिया में हड़कंप मचा दिया है।
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