नक्सली शहरी इलाकों को अपना निशाना बना सकते हैं. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 31 मई 2013

नक्सली शहरी इलाकों को अपना निशाना बना सकते हैं.

गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि सरकार के पास सूचना है कि नक्सली शहरी इलाकों में अपने आधार का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं और वे शहरों को निशाना बना सकते हैं। शिंदे ने नक्सलियों के ताजे हमले के बारे में कहा, ‘कभी-कभार चूक हो जाती है। हमें और सतर्क रहना होगा।` उन्होंने कहा, ‘हमारे पास काफी समय से सूचना है। हमारे पास पुणे के बारे में सूचना है। यह दूसरे जगहों पर भी हो सकता है।’ शिंदे से नक्सलियों द्वारा शहरों को निशाना बनाने की खबरों को लेकर सवाल पूछे गए थे। खबरों में बताया गया है कि आगामी महीनों में माओवादी बड़े शहरों को निशाना बना सकते हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि माओवादी कई शहरी इलाकों में आधार बनाने का प्रयास कर रहे हैं। यह पूछने पर कि क्या छत्तीसगढ़ की सरकार 25 मई को कांग्रेस की ‘परिवर्तन यात्रा’ को उपयुक्त सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकी तो शिंदे ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से न्यायिक जांच के आदेश से ही सच्चाई का पता चलेगा। गृह मंत्री ने कहा कि कल वह छत्तीसगढ़ के दौरे पर जाएंगे ताकि स्थिति का आकलन कर सकें।

नक्सलियों के साथ शांति वार्ता की संभावना पर शिंदे ने कहा, ‘जब कोई पेशकश माओवादियों की तरफ से ही नहीं है तो हम किससे बात करेंगे? आपके साथ?’ यह पूछने पर कि क्या नक्सलियों से निपटने में सरकारी नीति में खामियां हैं तो उन्होंने कहा कि वर्तमान रणनीति संतोषजनक है। उन्होंने कहा, ‘कभी-कभार चूक हो जाती है। हमें और सतर्क रहना होगा। हमें संघर्ष करना है। हमें आदिवासियों के कल्याण पर अधिक ध्यान देना है।’ छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग पर शिंदे ने कहा कि लोकतांत्रिक ढांचे में ऐसी मांग बिल्कुल नैसर्गिक है। 

कोई टिप्पणी नहीं: