गंगा नदी को औद्योगिक प्रदूषण से बचाने के लिए आस्ट्रेलियाई सरकार एक मॉडल तैयार करेगी. विक्टोरिया प्रांत में पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर काम कर रही एक आस्ट्रेलियाई एजेंसी सस्टेनेबिलिटी विक्टोरिया के विशेषज्ञ अगले महीने भारत की यात्रा पर आएंगे और कानपुर से ‘‘टैनरी वेस्ट मैनेजमेंट’’कार्यक्रम शुरू करेंगे.
एजेंसी के सीईओ स्टैन क्रपन ने कहा कि आईआईटी कानपुर ने हमें यह विचार दिया था. और वह इस परियोजना में हमारे साथ स्थानीय सहयोगी के रूप में साथ रहेगी. उन्होंने कहा कि टैनरी से किए जाने वाले अपशिष्ट प्रवाह को सुरक्षित बनाने की खातिर सतत एवं व्यवहार्य समाधान का पता लगाने में हम अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल करेंगे. इस परियोजना का वित्त पोषण आस्ट्रेलियाई एजेंसी ‘आसएड’ से किया जाएगा. इस परियोजना का मकसद दुनिया की पांच सर्वाधिक नदियों में से एक गंगा को स्वच्छ बनाना है.
क्रपन ने कहा कि एजेंसी के विशेषज्ञ कानपुर के टैनरी उद्योग के लिए सामाजिक, पर्यावरणीय और तकनीकी समाधान का पता लगाएंगे. उन्होंने कहा कि हम सभी पहलुओं पर विचार करते हुए इस उद्योग के लिए एक रोडमैप बनाएंगे. कानपुर में परियोजना के कामयाब होने के बाद गंगा नदी के लिए अन्य स्थानों पर भी इसे लागू करने का विचार है.
प्रदूषण के चलते गंगा नदी के प्रवाह और इसकी जैवविविधता और पर्यावरणीय स्थिरता पर खतरा पैदा हो गया है. गंगा नदी के औद्योगिक प्रदूषण के लिए टैनरी उद्योग, खासकर कानपुर के आसपास, को प्रमुख कारण माना जाता है. कानपुर में करीब 500 टैनिंग इकाइयां हैं. दक्षिण पूर्व आस्ट्रेलिया में स्थित विक्टोरिया भी करीब तीन दशक पहले ऐसी ही समस्या का सामना कर रहा था. लेकिन सस्टेनेबिलिटी विक्टोरिया ने इसका हल निकाला.
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