कंज्यूमर गुड्स कंपनियां फिर से दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं। इसके लिए उन्हें रुपए ने मजबूर किया है। डॉलर के मुकाबले इंडियन करेंसी अब तक के सबसे लोअर लेवल पर पहुंच गई है। कंज्यूमर गुड्स कंपनियां प्रॉडक्ट और कंपोनेंट इंपोर्ट करती हैं। ऐसे में रुपए की वैल्यू कम होने से उनके लिए इंपोर्ट महंगा हो गया है।
एलईडी टीवी, लैपटॉप, प्रिंटर और आईटी मल्टि-फंक्शनल डिवाइस, वॉशिंग मशीन, फ्रिज और एसी के दाम हफ्ते भर में 5-10 फीसदी बढ़ सकते हैं। कंज्यूमर गुड्स कंपनियां प्रॉडक्ट्स के दाम हर साल बढ़ाती हैं। इस बार इनके 3-5 फीसदी रहने की उम्मीद थी। हालांकि, रुपए की वैल्यू कम होने से अब यह बढ़ोतरी ज्यादा होगी। इंपोर्टेड चीज, पास्ता, सॉस और फलों के दाम भी बढ़े हैं। रीटेलर्स ने बताया कि इनके दाम में रुपए की वैल्यू में कमी के मुताबिक बढ़ोतरी हो रही है। ऐसा नई सप्लाई के मामले में हो रहा है।
कंपनियों का यह भी कहना है कि उन्हें दाम ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन वे कॉस्ट का कुछ बोझ खुद उठाएंगी। उन्होंने बताया कि अगर कंज्यूमर गु़ड्स के दाम में ज्यादा बढ़ोतरी की जाती है, तो उनकी सेल्स कम हो सकती है। इकनॉमिक स्लोडाउन के चलते डिमांड पहले से ही कमजोर है। पैनासोनिक इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष शर्मा ने कहा, 'प्रॉडक्ट के दाम बढ़ने से डिमांड में कमी आएगी, लेकिन हम इसके लिए मजबूर हैं।'
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