सरकार ने विदेशी रीटेलर्स से मल्टी-ब्रैंड रीटेल सेक्टर में इनवेस्टमेंट की कड़ी शर्तों को रिव्यू करने का वादा किया है। रीटेल इंडस्ट्री के साथ दो घंटे की मीटिंग के बाद कॉमर्स मिनिस्टर आनंद शर्मा ने मीडिया को बताया कि इस पॉलिसी का मकसद इनवेस्टमेंट और रोजगार बढ़ाना है। इससे किसान-कन्ज़यूमर को भी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि सरकार इनवेस्टर कम्यूनिटी की फिक्र दूर करना चाहती है। मिनिस्टर ने कहा कि इस मामले में जल्द और सही कदम उठाए जाएंगे, जिनसे गाइडलाइंस जारी की जा सकें।
इस सेक्टर को विदेशी इनवेस्टर्स के लिए खूब धूम-धड़ाके के साथ खोला गया था, लेकिन अब तक इसे ठंडा रिस्पॉन्स ही मिला है। मल्टी-ब्रैंड रीटेल सेक्टर को विदेशी निवेश के लिए खोलने का काफी विरोध भी हुआ था।
डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट के रूल्स बनाता है। वह इस मामले में कैबिनेट को अप्रोच कर सकता है। हाल ही में डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी अरविंद मायाराम की लीडरशिप में बनी कमेटी ने मल्टी-ब्रैंड रीटेल सेक्टर में एफडीआई लिमिट बढ़ाकर 74 फीसदी करने का सुझाव दिया था। डीआईपीपी इस पर चर्चा भी शुरू कर चुका है।
वॉलमार्ट, टेस्को, कैरफूर, भारती, आदित्य बिड़ला ग्रुप, टाटा, रिलायंस और पैंटालून के प्रतिनिधियों ने शर्मा से मुलाकात की है। वे एफडीआई नॉर्म्स में ढील की मांग कर रहे थे, जिसके तहत बैकएंड में 50 फीसदी इनवेस्टमेंट जरूरी है। नॉर्म्स के मुताबिक फॉरेन रीटेलर्स को 30 फीसदी सामान स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज से खरीदने होंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें