आधुनिक मौसमी उपग्रह इनसेट-3डी का सफल प्रक्षेपण. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

आधुनिक मौसमी उपग्रह इनसेट-3डी का सफल प्रक्षेपण.

भारत के आधुनिक मौसमी उपग्रह इनसेट-3डी का फ्रेंच गुयाना के कोउरू स्थित स्पेसपोर्ट से आज एक यूरोपीय रॉकेट के जरिए सफल प्रक्षेपण किया गया। इससे मौसम की भविष्यवाणी करने और आपदा की चेतावनी देने वाली सेवाओं को फायदा मिलेगा।
     
यूरोपीय अंतरिक्ष संघ एरियनस्पेस के एरियन 5 नामक रॉकेट ने इनसेट-3डी और एल्फासैट उपग्रहों को प्रक्षेपित किया। एल्फासैट, यूरोप का अब तक का सबसे बड़ा दूरसंचार उपग्रह है। इसका निर्माण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और इन्मारसेट के बीच बड़े स्तर की सार्वजनिक व निजी भागीदारी के तहत किया गया है।
     
उपग्रह ले जाने वाले वाहन ने स्पेसपोर्ट के ईएलए-3 प्रक्षेपण क्षेत्र से भारतीय समयानुसार रात 1 बजकर 23 मिनट पर उड़ान भरी। यह उड़ान लगभग 33 मिनट की थी। इस प्रक्षेपण से आसमान में गजब का नजारा देखने को मिला। बादलों के बीच उड़ान का रास्ता दिख रहा था। साफ मौसम के चलते प्रक्षेपण के पहले चरण का नजारा स्पष्ट नजर आया। इसमें 67 किलोमीटर की उंचाई पर दो ठोस प्रणोदक बूस्टरों के अलग होने नजारा भी शामिल है। उड़ान के लगभग 28 मिनट बाद पहले एल्फासैट को स्थापित किया गया।
    
लगभग पांच मिनट बाद एरिएन 5 ने इनसेट-3डी को सफलतापूर्वक खुद से अलग कर दिया। इनसेट-3डी में छह चैनल इमेजर (तस्वीर यंत्र) और 19 चैनल साउंडर (ध्वनि यंत्र) लगे हैं। इसके अलावा उपग्रह की मदद से किए जाने वाले खोज और बचाव अभियानों के लिए आंकड़े एकत्र कर उनका प्रसारण करने वाला एक ट्रांसपोंडर भी इसमें लगा है।
    
इस प्रक्षेपण के कुछ मिनट बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख क़े राधाकृष्णन ने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत के हासन (कर्नाटक का जिला) में स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी में इनसेट-3डी के सिग्नल प्राप्त हो चुके हैं। अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो प्रमुख राधाकृष्णन ने दूरदर्शन द्वारा सीधे प्रसारित अपनी टिप्पणियों में कहा कि हमें देश के लिए मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए इनसेट-3डी के अगले सात सालों तक बेहतरीन संचालन की उम्मीद है।
    
इनसेट-3डी के प्रक्षेपण अवसर पर राधाकृष्णन कोउरू नहीं गए। यह उपग्रह मौसमी आकलन और धरती तथा समुद्री सतहों की निगरानी करेगा। इसरो के अनुसार, इनसेट-3डी में वायुमंडलीय ध्वनि तंत्र के जरिए मौसम की निगरानी को एक नया आयाम मिलेगा। यह वायुमंडल की सतह से शीर्ष तक के तापमान, आद्रता तथा एकीकृत ओजोन से जुड़ी जानकारियां देगा। इसमें खोज और बचाव के लिए काम करने वाला पेलोड भी लगा है जो समुद्र, हवा या धरती पर कहीं फंसे लोगों द्वारा किए जा रहे प्रकाश से आने वाले सिग्नलों को लेकर इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क में भारतीय मिशन नियंत्रण केंद्र को  भेज देता है।
    
भारत में उपग्रह की मदद से खोज और बचाव सेवा का इस्तेमाल करने वाले बड़े प्रयोगकर्ता भारतीय तटरक्षक, भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण, जहाजरानी निदेशालय, रक्षा सेवाएं और मछुआरे हैं। आपात सेवाओं के प्रतिपादन के लिए भारतीय सेवा क्षेत्र में हिंद महासागर का एक बड़ा हिस्सा आता है, जिसमें भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, सेशेल्स, नेपाल, श्रीलंका और तंजानिया शामिल हैं।

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