केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को खाद्य सुरक्षा अध्यादेश को मंजूरी दे दी। अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों में पारित होना है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इससे पहले 13 जून को खाद्य सुरक्षा विधेयक को अध्यादेश के रूप में लाने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि कई राजनीतिक दल संसद में इस पर बहस करने के इच्छुक हैं। सपा, वाम दल और कृषि मंत्री शरद पवार खाद्य सुरक्षा विधेयक के विरोधी हैं।
खाद्य सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य भारत के 1.2 अरब लोगों में से 67 प्रतिशत को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। करीब 80 करोड़ लोगों को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए सरकार पर करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये का भार पड़ेगा। सरकार इस कानून को एक बड़े कानून के तौर पर देख रही है जो 2014 में उसे फिर सत्ता दिलाने की क्षमता रखता है।

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