दीघा रेल सह सड़क पुल मार्च 2015 तक पूरा होगा. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 24 अगस्त 2013

दीघा रेल सह सड़क पुल मार्च 2015 तक पूरा होगा.

गंगा नदी पर बन रहे रेल-सह-सड़क पुल मार्च 2015 तक बनकर पूरा हो जाएगा। रेल महाप्रबंधक मधुरेश कुमार के द्वारा निर्माण कार्यो में और तेजी लाने व तय समय-सीमा पर इसे पूरा करने के लिए एक रणनीति के तहत काम करने की बात कही गई है। इस पुल के निर्माण कार्य पूरा होने का पूर्व निर्धारित लक्ष्य दिसम्बर, 2014 था जिसे संशोधित कर मार्च, 2015 किया गया हैं इस महासेतु के 36 स्पैनों में से 21 स्पैन का निर्माण हो चुका है तथा 22 वें एवं 23 वें स्पैन का भी निर्माण प्रगति पर है।

तीसरी एजेंसी की भी मदद ली जा रही है। अतिरिक्त क्रेन तथा अन्य आवश्यक उपकरणों को मंगाकर काम में तेजी लाया जा रहा है। रेलवे द्वारा पुल निर्माण कार्य से जुड़े कायरें में भी आधुनिकतम तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है। यह पुल रेलवे और बिहार सरकार की संयुक्त साझेदारी से बन रहा है। 43 फीसदी राशि दे रही राज्य सरकार गंगा रेल सेतु के कार्य को 600 करोड़ रुपए की लागत से 1997-98 के बजट में शामिल किया गया था।

सितम्बर, 2006 में परियोजना को विस्तार दिया गया और 1389 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले रेल सेतु को रेल-सह-सड़क सेतु में परविर्तित कर दिया गया। वर्तमान में इसकी संशोधित लागत रु़ 2921 करोड़ है जिनमें रेलवे की ओर से 1681 करोड़ रुपए तथा राज्य सरकार की 1240 करोड़ की हिस्सेदारी है। पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अमिताभ प्रभाकर ने बताया कि फिलहाल इस सेतु पर इकहरी बड़ी लाइन के लिए परियोजना स्वीकृत है जिसके भविष्य में दोहरीकरण का प्रावधान किया गया है ।

सेतु की वृहत डिजाइन मेसर्स राइट्स द्वारा तैयार की गई है। सेतु तीव्र भूकम्प क्षेत्र (आईएस़ 1893 के अनुसार जोन चार) में पड़ने के कारण आईआईटी, खड़गपुर के द्वारा अपेक्षित पैरामीटर तैयार किया गया है। इस पुल को बनाने में वेल्डिंग तकनीक से मेम्बर को जोड़कर बनाया जा रहा है जो कि भारत में पहली बार किया जा रहा है। इसको बनाने में 2. 15 किमी वेल फाउंडेशन को गंगा के निचले स्तर से नीचे ले जाया गया है ।

निर्माण कार्य केंटिलविर पद्धति से किया जा रहा है ताकि बाढ़ और पानी के तेज बहाव के बावजूद निर्माण कार्य में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो सके । पहले एक पाये के बनने में 65 दिनों का समय लगता था वहीं अब 45 से 50 दिनों में पूरा किया जा रहा है। इस सेतु के निर्माण से एक बड़ा परविर्तन होगा और इसका लाभ बिहार के उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्र के लोग उठा सकेंगे। महात्मा गांधी सेतु पर जाम की परेशानी से इस सेतु का महत्व और बढ़ जाता है ।

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