माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने कहा कि स्थानीयता पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर सर्वमान्य हल निकाला जाना चाहिए। इसमें हल नहीं निकलने पर न्यायिक आयोग का गठन किया जाना चाहिए। तीन माह में रिपोर्ट मंगाई जानी चाहिए। इसमें अन्य राज्यों की स्थानीयता का अध्ययन कर हल निकाला जाना चाहिए। खतियानी को आधार बनाना गलत है। इसमें बड़ी संख्या में रैयत के रूप में गरीब, आदिवासी, मूलवासियों का नाम दर्ज नहीं है। 1932 का खतियान रांची जिले का हो सकता है, पूरे राज्य का नहीं।
वह शनिवार को प्रेस सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। वृंदा ने कहा कि स्थानीयता के नाम पर गरीब, मेहनतकश के बीच खाई पैदा करने की साजिश हो रही है। पार्टी इसका विरोध करती है। यह राजनीतिक साजशि है। इसमें आम लोगों को नहीं आना चाहिए। बाबूलाल मरांडी के सरकार के समय से यह विवाद छेड़ा गया था। इससे राज्य की छवि खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। हालांकि केंद्र सरकार को यहां से खनिज का जो राजस्व मिलता है, उसका छोटा हिस्सा ही झारखंड को मिलता है। इसका उचित हिस्सा मिल जाने पर विशेष राज्य के दर्जा की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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