जकिया जाफरी ने मोदी के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने की मांग की. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 31 अगस्त 2013

जकिया जाफरी ने मोदी के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने की मांग की.

कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी ने एक मजिस्ट्रेट अदालत से कहा कि उसे 2002 में गोधरा कांड मामले में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली याचिका खारिज कर देनी चाहिए.

जकिया जाफरी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट का विरोध किया है और दंगे की साजिश में कथित साठगांठ के लिए मोदी और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने की मांग की है.

आपको बता दें दिवंगत पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने सोमवार को यहां की एक अदालत में एसआईटी की उस रिपोर्ट के खिलाफ याचिका दायर की जिसमें गुलबर्ग सोसाइटी दंगा मामले में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को क्लीनचिट दी गई थी. याचिका में यह भी कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल के अलावा कोई अन्य स्वतंत्र एजेंसी जांच करे और मोदी तथा अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर करे. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गणत्र 24 अप्रैल से जकिया की याचिका पर रोजाना सुनवाई करेंगे.

जकिया के वकील एसएम वोरा ने कहा, ‘याचिका में उसी अदालत में गत 8 फरवरी 2012 को एसआईटी की ओर से मामला बंद करने के लिए दायर रिपोर्ट पूरी तरह खारिज करने की मांग की गई है. साथ ही मोदी समेत सभी 59 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने का अनुरोध किया गया है. इन लोगों को 8 जून 2006 को उच्चतम न्यायालय के समक्ष जकिया की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में नामजद किया गया था.’ याचिका में अनुरोध किया गया है कि जांच की जिम्मेदारी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपी जाए और पूर्व सीबीआई निदेशक आरके राघवन की अध्यक्षता वाले विशेष जांच दल को इसकी जिम्मेदारी नहीं दी जाए.

वोरा ने कहा, ‘याचिका में कहा गया है कि गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार एक नृशंस साजिश थी ताकि गोधरा कांड के बाद हुए दंगे की घटनाओं में हेर-फेर किया जा सके और इसकी साजिश मोदी ने अपनी मंत्रिमंडल के सहयोगियों और विहिप नेताओं समेत अन्य सह आरोपियों के साथ रची थी और इसे अंजाम दिया था.’ 514 पन्नों की याचिका तीन खंड के संलग्नक और 10 सीडियों में अदालत के समक्ष सौंपी गई. वोरा ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की दलील है कि एसआईटी के पास आरोपियों के खिलाफ निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए पर्याप्त दस्तावेज और बयान थे. हालांकि, उसने अपराध को ढंकने का फैसला किया और उन्हें क्लीनचिट देकर अदालत को गुमराह किया.’

उच्चतम न्यायालय को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने के बाद उसने एसआईटी को निर्देश दिया कि वह शहर की स्थानीय अदालत के समक्ष मामले को बंद करने के लिए अपनी रिपोर्ट दायर करे और जाफरी को सारे दस्तावेज मुहैया कराए ताकि वह इसके खिलाफ याचिका दायर करने में सक्षम हो सकें. पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी उन 69 लोगों में शामिल थे जो 28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसाइटी दंगे में मारे गए थे.

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