जनलोकपाल विधेयक नहीं लाने से दुखी हैं अन्ना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 11 अगस्त 2013

जनलोकपाल विधेयक नहीं लाने से दुखी हैं अन्ना

Anna Hazare
जनलोकपाल का प्रावधान लागू न होने से प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे दुखी हैं। उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन से ही दिल्ली के रामलीला मैदान पर एक बार फिर बेमियादी अनशन करने का ऐलान कर दिया है और कहा है कि मांग पूरी न होने तक अनशन पर डटा रहूंगा। जनतांत्रिक जागरूकता के लिए पांच राज्यों का दौरा करने के बाद अन्ना अब उत्तर प्रदेश के लोगों को जगाने के लिए 23 जुलाई से यात्रा पर हैं। फैजाबाद, गोंडा, सुल्तानपुर, जौनपुर, वाराणसी, गोंडा, मुरादाबाद, आजमगढ़, गोरखपुर आदि दर्जनों जिलों में अपनी सभाओं में उन्होंने साफ किया कि उनका आंदोलन गैर राजनीतिक है और वह एक मिशन के तहत इसे अंजाम दे रहे हैं। 

वह न तो ईमानदार प्रत्याशी को चिह्न्ति करेंगे और न ही किसी का प्रचार करेंगे। उनका मकसद जनजागरण करना है। जनता ईमानदार प्रत्याशी का चुनाव करें। उन्होंने अरविंद केजरीवाल सहित अन्य सभी राजनीतिक दलों से दूरी बनाए रखने की भी बात कही है और कहा कि वह अब योग गुरु बाबा रामदेव के साथ भी कोई मंच साझा नहीं करेंगे। अपने भाषणों में उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सभी पार्टियों को बर्खास्त कर देना चाहिए था। संविधान में पक्ष और पार्टी की व्यवस्था नहीं है। जनप्रतिनिधि पार्टी से निर्वाचित होने के बाद संविधान के बजाय दलीय निष्ठा से जुड़ जाते हैं। इसलिए पक्ष और पार्टी की व्यवस्था बदलनी होगी। आज की राजनीति में सेवाभाव खत्म हो गया है। नेता और राजनीतिक दल शहीदों के बलिदान को भूल गए हैं। सत्ता पैसा और पैसा सत्ता बन गया है। 

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा बिल के जरिए चुनावी फायदा लेना चाहती है, लेकिन देश की जनता सब समझती है और वक्त आने पर इसका जवाब देगी। उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराधों के लिए मुलायम सिंह यादव व उनकी पार्टी की सरकार को जिम्मेदार बताया। भारतीय संविधान में कहीं भी लोकतंत्र के लिए राजनीतिक दल की सत्ता का जिक्र नहीं है। जनतंत्र पर पक्ष और पार्टी तंत्र का अतिक्रमण हो चुका है। संविधान में तो लोकतांत्रिक गणराज्य का समर्थन किया गया है। राजकाज की हर प्रक्रिया में जनता की सहभागिता रहे, सरकार पर नागरिकों द्वारा कारगार नियंत्रण रहे। इसी नियंत्रण की बदौलत चुने गए जनप्रतिनिधियों पर ध्यान रखने का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि जनतंत्र पर पक्ष और पार्टी तंत्र हाबी हो गया है और जनतंत्र नेस्तानाबूद हो गया है। उसके स्थान पर पक्षतंत्र, पार्टी तंत्र, सरकार तंत्र, असर तंत्र आ चुका है। पार्टियों में सत्ता संपत्ति को हथियाने की होड़ लग गई है। कई पक्ष और पार्टियां भ्रष्टाचारी, गुंडा, व्यभिचारी लोगों को उम्मीदवारी देती है। यह सब जानबूझ कर किया जाता है और इन भ्रष्टाचारियों को चुनाव में जितवाने का प्रयास किया जाता है। जनतंत्र को हटाकर लूटतंत्र को स्थापित कर लिया गया है। अंग्रेज डेढ़ सौ साल में हमें जितना लूट नहीं पाए उससे ज्यादा हमारे ही लोगों ने देश को लूटा है। अगर जनलोकपाल विधेयक आ गया तो 60 प्रतिशत भ्रष्टाचार खत्म होगा और गरीबों को न्याय मिलेगा। महात्मा गांधी कहा करते थे कि गांवों के सवार्गीण विकास के बगैर देश का विकास नहीं हो सकता। उन्हीं गांवों में इन पार्टियों ने अपने-अपने गुट बना दिए हैं।

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