सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन के कदाचार एवं बेनामी संपत्ति की खरीद को लेकर उन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिये दायर जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब तलब किया है.
न्यायमूर्ति बी एस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘‘इस चरण में, हम फिलहाल केंद्र को तीन सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दे रहे हैं.’’ संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि कानून एवं न्याय मंत्रालय न्यायालय इस मुद्दे पर पहले दायर की गयी शिकायत की स्थिति से अवगत कराए.
गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ की ओर से जनहित याचिका दायर करने वाले वकील प्रशांत भूषण ने कहा, ‘‘उनको (केंद्र को) की गयी हमारी शिकायत के ढ़ाई साल से भी अधिक समय गुजर गए हैं. शिकायत के पक्ष में दस्तावेज भी हैं. इसे यूं ही ऐसे ही नहीं चलते रहने दिया जा सकता है.’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम यह जानना चाहते हैं कि क्या उन्होंने (केंद्र ने) शिकायत का निस्तारण कर दिया है या अब भी उनके पास यह लंबित है.’’
याचिका में अधिकृत प्राधिकार (केंद्र को) को बालकृष्णनन के खिलाफ जांच कराने के लिए शीर्ष अदालत से सिफारिश करने का अनुरोध किया गया है.
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