झारखंड में आदिवासी समुदाय ने आदिवासी वेशभूषा में मौजूद मदर मेरी की प्रतिमा बदले जाने को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। राजधानी रांची के पास एक चर्च में मदर मेरी की प्रतिमा लगाई गई थी, जिसमें उन्हें आदिवासी पोशाक (साड़ी) और हाथों में चूड़ियां पहने दिखाया गया है। विरोध को लेकर आदिवासी समुदाय के लोगों ने हजारों की संख्या में रविवार को चर्च की तरफ रैली निकाली, जिसे पुलिस प्रशासन ने रोक दिया।
आदिवासी धार्मिक नेता बंधन तिग्गा ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, "हमारी मांग है कि 24 दिसंबर तक मदर मेरी की आदिवासी पोशाक वाली प्रतिमा बदली जाए। अपने धर्म की रक्षा करना हमारा अधिकार है। हमने 25 दिसंबर को रांची में आदिवासी समुदाय की महापंचायत बुलाई है, जिसमें इस मुद्दे पर फैसला लिया जाएगा।"
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम साही मुंडा ने कहा, "किसी भी धर्म को दूसरे धर्म की भावना को चोट पहुंचाने का हक नहीं है। मदर मेरी को आदिवासी वेशभूषा में दिखाने से हमारे समुदाय की भावना आहत हुई है। हमारी यह भी मांग है कि आदिवासी समुदाय के हित के लिए दिया जाने वाला सरकारी धन ईसाई संस्थाओं को नहीं दिया जाए।"
आदिवासी पंचायत ने रविवार को सात बिंदुओं वाला प्रस्ताव पारित किया, जिसमें ईसाई आदिवासियों को आरक्षण का लाभ न दिए जाने, आदिवासी पर्व करमा और सरहुल के चर्च में न मनाए जाने और आदिवासियों के धर्मातरण पर पूर्णत: रोक की मांग शामिल है।

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