तेलंगाना और दार्जिलिंग मुद्दे पर भाजपा तथा तृणमूल कांग्रेस के बीच तकरार सहित कई मुद्दों पर हंगामे के कारण कई बार बाधित होने के बाद लोकसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में पहली बार स्थगन अति विशेषज्ञता वाले चिकित्सा और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के अध्यापकों के आरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लेकर हुआ।
सरकार ने कहा कि अति विशेषज्ञता वाले चिकित्सा और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में अध्यापकों की नियुक्ति में आरक्षण रद्द करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को अप्रभावी बनाने के लिए वह एक संशोधन लाएगी। लोकसभा में सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ एकजुट होकर सरकार से इसे अप्रभावी बनाने के लिए कदम उठाने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने इसके बाद लोकसभा में कहा, "हम इस सत्र में एक संविधान संशोधन विधेयक लाएंगे।"
कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने सदन में कहा, "हम इस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एक समीक्षा याचिका दायर करेंगे। यदि याचिका रद्द कर दी गई, तब हम एक संविधान संशोधन विधेयक लाएंगे।" बहरहाल, इसके बाद भी सदस्य उत्तेजित बने रहे और सदन की कार्यवाही दोपहर तक स्थगित कर दी गई। कांग्रेस, भाजपा, वाम दलों, सपा, बसपा, जनता दल (युनाइटेड), बीजू जनता दल, शिवसेना, डीएमके और एआईएडीएमके के सदस्य चाहते थे कि न्यायालय के आदेश को अप्रभावी बनाने के लिए सरकार कदम उठाए।
जब सदन की कार्यवाही शून्य काल में शुरू हुई तो भाजपा के जसवंत सिंह ने दार्जीलिंग की स्वायत्तता का मुद्दा उठाया, इस पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्य उत्तेजित हो गए और उनको चुप कराने की कोशिश की। तेलुगू देशम पार्टी के सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के समीप तेलंगाना विरोधी नारे लगाए। इस हंगामे के कारण पीठासीन अधिकारी ने सदन की कार्यवाही अपराह्न् दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही दो बजे फिर शुरू हुई लेकिन तेलंगाना मामले पर हंगामे और शोरगुल के कारण तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। अंतत: तीन बजे लोकसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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