पद्मश्री से विभूषित राजस्थान के लोकवादक साकर खान का शनिवार को निधन हो गया। वह 75 वर्ष के थे। वह कामयचा वाद्ययंत्र के सिद्धहस्त कलाकार थे। एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि साकर ने जैसलमेर के करीब हमीरा गांव में बेटे घेवर, फिरोज और दार्रा की मौजूदगी में तड़के करीब 1:30 बजे दम तोड़ दिया। साकर खान मांगनियार समुदाय से थे जो कि आमतौर पर रेगिस्तानी इलाके में रहते हैं। यह समुदाय वंशानुगत मुस्लिम संगीतकारों की जाति में से एक है। उन्होंने पिता चुनार खान वाद्ययंत्र बजाना सीखा था। उनके पिता लोकवादन के सिद्धहस्त कलाकार थे।
खान को वर्ष 1991 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया, उन्होंने अपनी पहली और आखिरी एलबम 'एट होम: साकर खान' सितंबर 2012 में रिकॉर्ड की। उन्होंने अमेरिकन वायलिन वादक येहुदी मेनुहिन और बीटल्स बैंड के प्रमुख गिटारवादक जॉर्ज हैरिसन के साथ भी प्रस्तुति दी थी।
कामयचा की जड़ें आठवीं सदीं में जाने पर मिलती हैं। यह एक बकरी के चमड़े से बनाई गई साउंड बॉक्स व 14 सहायक धातु तार के साथ तीन मुख्य आंत तार के साथ झुका हुआ एक वाद्ययंत्र है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें