शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करें विश्वविद्यालय: प्रणब
देहरादून, 26 अगस्त। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विश्वविद्यालयों का आह्वान किया है कि वे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएं। उन्होंने इस बात पर चिन्ता जाहिर की कि विष्व के 200 सबसे अच्छे विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी विश्वविद्यालयों या षिक्षण संस्थान शामिल नहीं है। राष्ट्रपति ने कहा कि देष में 600 से ज्यादा विश्वविद्यालयों और 33 हजार से ज्यादा कॉलेज हैं, लेकिन अच्छे स्तर के षिक्षण संस्थानों की कमी बनी हुई है। मुखर्जी आज देहरादून में एक निजी विश्वविद्यालयों यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एण्ड एनर्जी स्टडीज के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में देष ने करीब 8 प्रतिषत आर्थिक विकास दर प्राप्त की, जो इससे पहले कभी प्राप्त नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में भी 11वीं योजना की तरह विकास दर का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि अमरीका, चीन और रूस के बाद भारत में ऊर्जा की सबसे ज्यादा खपत है। खपत की इस ऊंची दर के मुकाबले हमारे ऊर्जा संसाधन अपर्याप्त हैं। यह देखा गया है कि ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और अमरीका के मुकाबले हमारे देष में सकल घरेलू उत्पाद की प्रति इकाई पर ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है। ऐसे में बढ़ती हुई आबादी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करते हुए विकास की ऊंची दर प्राप्त करना एक चुनौती है। इसके लिए ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन करने और ऊर्जा के किफायती उपयोग के तरीके ढूंढने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि ऊर्जा के पारम्परिक स्रोतों पर निर्भरता घटाने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत ढूंढना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा प्रणालियों की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए हमारे देष में ऐसे संस्थानों का समूह होना चाहिए, जो ऊर्जा संबंधी जरूरत को पूरा करने के वास्ते मिलकर काम करें।
राष्ट्रपति ने इस बात पर क्षोभ व्यक्त किया कि वर्ष 1933 के बाद भारत में बुनियादी अनुसंधान पर किसी को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि हर गोविन्द खुराना, सी.वी. रमन और अमर्त्य सेन को जो नोबेल पुरस्कार मिला, वह विदेषों में उनके द्वारा की गई खोज के लिए प्राप्त हुआ। उन्होंने छात्रों में आत्म चेतना, संवेदनषीलता, मौलिक सोच विकसित करने और प्रभावषाली संवाद, समस्या समाधान व अंतरवैयक्तिक संबंध में दक्षता बढ़ाने की जरूरत बताई। मुखर्जी ने उत्तराखण्ड में हाल में आई आपदा की चर्चा करते हुए लोगों का से धैर्य बनाए रखने की अपील की और आषा व्यक्त की कि प्रदेष के नव निर्माण में सभी वर्गों के लोग हरसंभव सहयोग करेंगे।
इस अवसर पर प्रदेष के राज्यपाल डा. अजीज कुरैषी और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने भी छात्रों को संबोधित किया। इससे पूर्व देहरादून आगमन के दौरान चाक चौबन्द सुरक्षा की दृष्टि से ऋषिकेश देहरादून मार्ग पूरी तरह बन्द रखे जाने के साथ चप्पे चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई जिसके कारण सीधे देहरादून जाने वाले लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ा जिन्हे देहरादून पहंुचने के लिए रानीपोखरी भोगपुर होकर जाना पड़ा। जौलीग्रान्ट पहंुचाने पर तमाम प्रशासनिक अधिकारियों से प्रदेश के आला नेता भी उपस्थित थे। जिनकी सुरक्षा व्यवस्था केा लेकर हालांकि प्रशासन पिछले कई दिनों से तैयारियों में जुटा था और जिस मार्ग से उन्हे देहरादून पहुंचना था वहां सुरक्षा व्यवस्था का विशेष इंतजाम रखा गया। वहीं दूसरी ओर सुरक्षा व्यवस्था की कमान जिले के पुलिस कप्तान केवल खुराना स्वयं सम्भाल रखी थी। वहीं दून पहंुचने पर यातायात को डायवर्ट किया गया और जिससे लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पडा, राजधानी में चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल को तैनात किया गया था।
आपदा के 67 दिन बाद भी आपदाग्रस्त क्षेत्रों में नहीं हुआ कोई सुधार: पंत
देहरादून, 26 अगस्त, (राजेन्द्र जोशी)। भारतीय पार्टी प्रदेश महामंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि दैवीय आपदा 16/17 जून के पश्चात 67 दिन के बाद भी आपदा ग्रस्त क्षेत्रों का कोई सुधार नहीं हुआ है। अवस्थापना सुविधा का अभाव तथा खाद्यान संकट बरकरार है। लगभग 400 मोटर मार्ग व 278 गांवों कके सम्पर्क मार्ग टूटे हुये हैं। 200 गांवों तक किसी भी प्रकार का सरकारी सहयोग नही पंहुचा है। लपता तथा तथा मृत व्यक्तियों की स्पष्ट जानकारी अभी तक नही है। देश भर से विभिन्न राज्यों से आयी राहत सामग्री की बन्दरबांट की गयी। गोदामों में राहत सामग्री सडती रही। आपदा के समय अराजकता तथा कुप्रबन्धन इस बात का प्रमाण है कि सरकार आपदा प्रबन्धन तथा राहत कार्य में पूर्ण रूप से असफल हो गयी है। आपदा प्रभावितो को दी जाने वाली राहत सामग्री के राज्य सरकार द्वारा बनाये गये किटों में भ्रष्टाचार प्रमाणित हुआ है। खुले बाजार में 480 रू0 की लागत वाले किट को 620 रू0 में खरीदा गया। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावितों की सहायता हेतु एकत्रित धन से 75 करोड रू0 के लगभग विज्ञापन सरकार द्वारा जारी किए जा चुके हैं। आपदा के कारण सम्पूर्ण राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर्यटन व्यवसाय प्रभावित हुआ। अतः राज्य के समस्त प्रभावित व्यवसायियों के सरकारी देयक तथा ऋण माफ किये जाये।
किसानों की भूमि, बगीचे, फसले बरबाद हुयी है उन्हें भुआवजा दिया जाय तथा ऋण माफ किये जाये। आपदा प्रभावित क्षेत्रों के उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों की फीस माफ की जाय। गंगा किनारे के किसानों के खेत जलमग्न हो गये हैं उनके पलायन को रोकने तथा विस्थापितों का तत्काल पुर्नवास किया जाय। जिन के वाहन बह गये हैं उनके वाहन ऋण माफ किये जाय। खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर उन्होंने कहा कि राज्य में ए.पी.एल. कार्ड धारक 18.6 लाख है तथा बी.पी.ल. कार्ड धारक 3.64 लाख हैं। सरकार केवल बी.पी.एल. परिवारों को प्रथम चरण में योजना का लाभ देने की योजना बना रही है। परन्तु इस योजना बहुसंख्यक मध्यम वर्गीय जनता में खाद्यान्न संकट आ जायेगा। अतः देश के प्रत्येक नागरिक को कम कीमत में आवश्यकता अनुरूप खाद्यान्न सरकार मा0 अटल जी के कार्यकाल की भॉति उपलब्ध कराये। वहीं उन्होंने सरकार द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को समय पर न कराने की निन्दा की गयी तथा मांग की गयी कि अविलम्ब पंचायत चुनाव कराये जाय। किसान गन्ना किसानों का 200 करोड रू0 का भुगतान बकाया है जिसका अविलम्ब भुगतान किया जाय। उन्होंने कहा कि अर्न्तराष्ट्रीय सीमावर्ती राज्य होने के कारण केन्द्र व राज्य की सरकार के नेतृत्व में हमारी सीमायें असुरक्षित हैं।
वहीं उन्होंने जनता से आहवाहन किया कि भ्रष्ट, निकम्मी, जन विरोधी नीतियो की कांग्रेस सरकार को हटाने के लिए एकजुट होकर संर्घष तथा गांव-गांव, घर-घर जाकर देश व प्रदेश को कांग्रेस मुक्त करने हेतु जन सहयोग प्राप्त करना। राज्य की वर्तमान दैवीय आपदा को राष्ट्रीय आपदा केन्द्र सरकार घोषित करे। आपदा प्रभावितों को सम्पूर्ण देशवासियों द्वारा दी गयी सहायता राशि के आय व व्यय को सार्वजनिक करते हए श्वेत पत्र जारी किया जाय। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक पर 28,498 रू0 का आज कर्ज हो गया है। अर्थात राज्य पर कुल कर्ज 28,498,94 करोड रू0 है। वर्ष 2012-2013 तथा वर्ष 2013-2014 में सरकार ने 5900 करोड रू0 बाजार ऋण प्राप्त किया। विकास के बारे में उन्होंने कहा कि वर्ष 2010-2011 में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) 9.3 प्रतिशत था जो 2 वर्षो में घट कर 5 प्रतिशत हो गया है। महंगाई आर्थिक गणना के अनुसार राज्य की 47 प्रतिशत जनता की आर्थिक स्थिति खराब है। घरेलू गैस में 21 रू0 प्रति सिलेन्डर राज्य का कर तथा पेट्रोल, डीजल, मीट्टीतेल में वैट की छूट समाप्त। शराब पर 32.50 प्रतिशत वैट में कटौती कर 20 प्रतिशत कर दिया। शराब व्यवसायियों को 12ः50 प्रतिशत वैट की छूट। दैनिक उपभोग की वस्तुओं से मूल्य वृद्वि नियंत्रण से बाहर। 10 वर्ष में 38 बार पेट्रोलियम पदार्थो के दाम बढ़े। प्रति परिवार गैस सिलेन्डर संख्या नियंत्रित कर 9 सिलेन्डर कर दिया गया। शहरी क्षेत्र में 32 रू0 प्रतिदिन तथा ग्रामीण क्षेत्र मं 28 रू0 प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति ही गरीब है। इस निर्णय से कांग्रेस का गरीबो के प्रति नजरिया स्पष्ट होता है। जनता से आह्वाहन करते हुए उन्होंने कहा कि दैवीय आपदा से राज्य के निवासियों की आर्थिकी प्रभावित हुई है। अतः राज्य के नागरिकों पर लगने वाले प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कर तथा विद्युत व पानी के बिल माफ किये जाय। किसान, व्यापारी, समस्त नागरिकों पर टैक्स, बस, ट्रक, तिपहिया वाहन इत्यादि पर आरोपित किए जाने वाले शुल्क माफ किए जाय। भाजपा सरकार के आर्थिक प्रबन्धनों को लागू किया जाय।

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