राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर निराश होने की कोई जरूरत नहीं है। बंगाल वाणिज्य एवं उद्योग मंडल की १६०वीं वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा सुस्ती मुख्यरूप से पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक अर्थव्यवस्था में आयी मंदी के कारण है। भारतीय अर्थव्यवस्था के मूल तत्व उतने ही मजबूत हैं जितने पहले थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार को चालू खाता घाटा और मुद्रास्फीति की ऊंची दर समेत कुछ क्षेत्रों पर खास तौर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होने कहा कि दोनों को सामान्य स्तर पर लाया जाना चाहिए। खराब अर्थव्यवस्था पर लगाम लगाने के लिए संसद में हाल में किये गये सुधारों की घोषणा पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इन सुधारों की प्रक्रिया का असर जनता को जल्द ही देखने को मिलेगा इस वर्ष का अच्छा मानसून भी इसमें सहायक बनेगा। देश के कृषि विकास पर उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में चावल का सबसे बडा और धान का दूसरा सबसे बडा निर्यातक देश बन चुका है। उन्होने कहा कि इस तरह की आंतरिक मजबूती तथा कर सुधारों और जीएसटी लागू होने के बाद से देश की अर्थव्यवस्था में जल्द ही सुधार होगा।
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