मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा, हालात तनावपूर्ण. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 8 सितंबर 2013

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा, हालात तनावपूर्ण.

यूपी के मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा के चलते बेहद तनाव है। हालात से निपटने के लिए यूपी सरकार ने केंद्र से मदद की मांग की जिसके बाद प्रभावित इलाके में फौज को तैनात कर दिया गया है। जिला प्रशासन के मुताबिक हिंसा में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में आईबीएन7 के पत्रकार राजेश वर्मा भी शामिल हैं। हिंसा में 34 लोगों के जख्मी होने की भी खबर आई है। कल रात से अब तक 30 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

मुजफ्फरनगर के डीएम  के मुताबिक इस हिंसा के पीछे कुछ नेताओं का हाथ है जिन्होंने पंचायत के दौरान लोगों को भड़काने का काम किया। इस मामले केस दर्ज किया गया है और इन नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई की बात कही जा रही है।

पुलिस के अनुसार हिंसा में 34 लोगों के जख्मी होने की भी खबर आई है। फिलहाल शहर के 5 इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। हालांकि सरकार दस दिन से जारी दंगे पर काबू नहीं पा सकी है लेकिन मुख्यमंत्री का दावा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि मेरी अपील है कि लोग शांति बनाए रखें। सरकार पूरी जिम्मेदारी से काम कर रही है। जो भी हालात खराब करने की कोशिश करेगा उससे सख्ती से निपटा जाएगा। उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर का कहना है कि हमने भारी मात्रा में पुलिस फोर्स लगाई है। 9 एसपी लगाए हैं, 3 प्लाटून पीएसी लगाई है। हमने काफी प्रयास किए हैं। लेकिन कम्यूनल वायलेंस हमने पांच कंपनी पीएसी और पांच कंपनी आरएएफ लगाए हैं। पुलिस की गोली से मरने की सूचना नहीं है। प्रशासन की काहिली कहिए या फिर लापरवाही, हालात इतने बदतर हो गए कि संभालना मुश्किल हो गया। लिहाजा केंद्र सरकार से गुहार लगानी पड़ी और लंबी बातचीत के बाद केंद्र ने बरेली और मेरठ से करीब 10 कॉलम आर्मी यानि करीब 10 हज़ार जवान भेजे गए। मगर ऐसा नहीं है कि हालात एकदम इतने बेकाबू हुए हों। दरअसल 27 अगस्त को कावल गांव में 3 लोगों की हत्या हो गई थी। जिसके बाद मुजफ्फरनगर जिले के कई हिस्सों में झड़पों की खबरें आईं।

शनिवार की हिंसा बीते 10 दिनों के तनाव का नतीजा भर थी। इसमें कई लोगों की जानें गईं जिसमें घटना की कवरेज करने गए आईबीएन 7 के पत्रकार राजेश वर्मा की भी मौत हो गई। प्रशासन ने दूसरे मृतकों के साथ-साथ हालांकि राजेश वर्मा के परिवार को 15 लाख के मुआवजे का ऐलान किया हो मगर क्या प्रशासन के पास इस बात का जवाब है कि आखिर पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए क्या कदम उठाए। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री इन हालात को चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं और आशंका जता रहे हैं कि सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि 7 दूसरे राज्यों में भी हालात खराब हो सकते हैं। उनका तर्क है कि बीते दो सालों में इस तरह कि हिंसा में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।

केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का ये भी कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी अलर्ट कर दिया है। तो क्या अखिलेश अलर्ट हो जाएंगे। रिकॉर्ड देखें तो ऐसा लगता नहीं है क्योंकि मुजफ्फरनगर ही नहीं बल्कि जबसे अखिलेश ने यूपी की कमान संभाली है तबसे सूबे के कई इलाकों से इस तरह के तनाव और हिंसा की घटनाएं होती रही हैं और अखिलेश सरकार पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वो हिंसा फैलाने वालों से निपटने में नाकाम रही है।

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