उत्तराखंड की विस्तृत खबर (05 सितम्बर) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 5 सितंबर 2013

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (05 सितम्बर)

शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार के सच्चे हकदार तो ये मास्साब होने चाहिए थे- 

अंधे लूले और गूंगे विभाग कि अगर बात कि जाय तो वो है उत्तराखंड प्रदेश का शिक्षा विभाग आपको मेडिकल पर जाना है तो चाय नाश्ता, बाली शिशु अवकाश लेने है तो मिठाई और व्यवस्था या ट्रान्सफर सम्बन्धी कोई काम है तब तो पूछो मत... अब आती है राज्य पुरस्कार कि बारी तो अगर शिक्षा के क्षेत्र में पुरूस्कार हेतु फाइल एक टेबल से दूसरी टेबल तक सरकानी है तो भी पार्टी और और आगे पहुंचानी है तो भी... अगर ऐसा न होता तो विभाग इन मास्साब को कैसे भूल गए जो प्रदेश के सबसे सीमान्त जिला पिथोरागढ़ के नाचनी क्षेत्र के नामिक गॉव के एक हाई स्कूल को अपनी तनख्वाह पर चला रहे हैं. समुद्र ताल से २७०० मीटर कि ऊँचाई पर स्थित नामिक गॉव का यह हाई स्कूल सड़क मार्ग से २७ किलोमीटर कि ऊँचाई पर बसा है जहाँ न प्रधानाचार्य कि ही नियुक्ति हुई है और न ही अध्यापकों की ही कोई नियुक्ति हो पायी है...हुई भी होगी तो कौन जाए २७ किलोमीटर कि पैदल यात्रा तय कर ऐसे विद्यालय में. भाजपा शासन काल के दौर यह स्कूल जरुर खोल दिया गया था लेकिन उसमें एक भी नियुक्ति शिक्षा विभाग नहीं करवा पाया जिसके कारण यह विद्यालय शिक्षा बीईं था लेकिन जूनियर हाई स्कूल में तैनात एक शिक्षक भगवान् सिंह जैमियाल सचमुच इस ख्स्त्र के बच्चों के लिए भगवान् निकले. ..उन्होंने अपने खर्चे पर न सिर्फ दो अध्यापक इस स्कूल में दो दो हजार रुपये मासिक वेतन पर रखे बल्कि जैसे ही समय मिलता है वह अपनी मुफ्त सेवाएं देने पहुँच जाते हैं. विभाग को जैसे ही पता लगा कि यहाँ एक सरफिरा अध्यापक है जो हाई स्कूल संचालन कि जिम्मेदारी अपने वेतन से उठा रहा है उन्होंने भी मौका देखा और हींग लगे न फिटकरी रंग निकले चोखा वाली कहावत चरितार्थ करते हुए हाई स्कूल का जिम्मा जूनियर हाई स्कूल को ही सौंप दिया.. भगवान् सिंह जैमियाल की इस मिशाल को देखकर उस क्षेत्र के लोगों में उनका कद किसी भगवान् से कम नहीं है..उनके आदर्शों का पालन करने के लिए जहाँ उस क्षेत्र के विद्ध्यार्थी हमेशा तत्पर दिखाई देते हैं वहीँ शिक्षा विभाग ने अभी तक उनकी पीठ थपथपाने की जरूरत तक महसूस नहीं की.

नौकरशाह और मंत्रियों में दरार के लिए कौन जिम्मेदार!

देहरादून, 5 सितम्बर। उत्तराखण्ड में नौकरशाही और मंत्रियों के बीच तलवारें खिंचनी अब आम बात हो गई है। बीती तीन सितम्बर को उत्तराखण्ड सचिवालय में कैबिनेट बैठक के दौरान जो कुछ हुआ, उसे सही नहीं कहा जा सकता। मंत्रियों और नौकरशाहों में झगड़ा इतना बढ़ गया था कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को कैबिनेट बैठक छोड़कर बाहर जा रहे मंत्रियों को रोकने लिए मीटिंग हॉल के दरवाजे पर खुद कुन्डी लगानी पड़ी। प्रदेश सरकार में शामिल बसपा कोटे से परिवहन मंत्री सुरेन्द्र राकेश, शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी, श्रम मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल तथा उक्रांद कोटे से शहरी विकास मंत्री प्रीतम पंवार ने मुख्यमंत्री पर जमकर भड़ास निकाली कि प्रदेश के नौकरशाह उनका कहना नहीं मान रहे हैं, यह मामला वर्तमान में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं अब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने विभाग के प्रमुख सचिव एम. रामास्वामी पर उनका कहना न मानने और अपने हिसाब से काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने भी मुख्यमंत्री से शिकायत की है कि प्रमुख सचिव स्वास्थ्य उनकी बातों को तवज्जों नहीं दे रहे हैं। जहां तक प्रदेश में नौकरशाही और मंत्रियों के बीच टकराव की बात की जाए, तो इसका सूत्रपात पिछले उपचुनाव के बाद से ही हो गया था। सूत्रों का दावा है कि सितारगंज से चुनाव लड़ने के बाद मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा कुछ नौकरशाहों को तवज्जो देने के बाद इस तरह की नौबत आई है। इसी दिन कैबिनेट बैठक में प्रदेश की वित्त मंत्री डा. इंदिरा हृदयेश पाठक ने भी मुख्यमंत्री से शिकायत की कि वास्तव में राज्य की ब्यूरोक्रेसी लोकतंत्र पर हावी होती जा रही है और वह जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं कर रही है। कमोवेश यही आरोप प्रदेश के विधायक भी राज्य की ब्यूरोक्रेसी पर लगा चुके हैं, इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के मुख्यमंत्रित्व काल में कांग्रेस के कुछ विधायकों द्वारा एक प्रमुख सचिव को उनके कमरे में बंद कर जमकर कहा-सुनी हुई थी, हालांकि वह ब्यूरोक्रेट वर्तमान में सेवानिवृत्त हो चुका है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी और जनप्रतिनिधियों के बीच यह टकराव ऐसे ही नहीं हो रहा है, उनका कहना है कि जब जनप्रतिनिधि संविधान से इतर और कायदे कानूनों को ताक पर रख ब्यूरोक्रेट्स से अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए दबाव बनाएंगे, ऐसे में ब्यूरोक्रेट पर कहना न मानने और प्रोटोकोल के उल्लंघन का आरोप लगाना बेबुनियाद है। राजनैतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि जब जनप्रतिनिधि जिनमें मंत्री भी शामिल है, ब्यूरोक्रेट से स्वहित के बजाय जनहित के कार्य करने को कहेंगे, तो ऐसे में ब्यूरोक्रेट की हिम्मत नहीं की वह जन सेवकों के प्रोटोकोल का उल्लंघन करें। इतना कहना है कि ताली एक हाथ से नहीं बजाई जाती, गलती दोनों पक्षों की बराबर है, लिहाजा प्रदेश में नौकरशाह और जनप्रतिनिधियों के बीच टकराव बढ़ना स्वाभाविक है। प्रदेश में नौकरशाह और जनप्रतिनिधियों के बीच टकराव और आम दिन होने वाली शिकायतों से प्रदेश के विकास कार्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। ताजे घटनाक्रम के बाद नौकरशाही और मंत्रियों के बीच दरार कम होने के बजाय और चैड़ी हो गई है, इसकी तस्दीक मंत्री व नौकरशाह भी कर रहे हैं। 

काग्रेंस सरकार हर मोर्चे पर असंवेदनशील है : निंशक

nishank
ऋषिकेशध्देहरादून, 5 सितम्बर, (मनोज इष्टवाल)।  भाजपा आगामी लोक सभा चुनाव 2014 में गढ़वाल की सभी सीटों पर फतह  करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को 10 दिसम्बर तक सभी बूथों टीम गठित करने व घर घर चलो अभियान के तहत पार्टी की नीतियों को पहुचंाने का आहवान किए जाने के साथ काग्रेंस की प्रदेश सरकार पर पूरी तरह निष्फल होने का आरोप लगाया। भारतीय जनता पार्टी परवादून की जिला कार्यसमिति के एक दिवसीय सम्मेलन के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री रमेशपोखरियाल निंशक ने मुख्य वक्ता के रूप में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि पार्टी ने रामनगर में सम्पन्न हुई प्रदेश कार्य समिति की बैठक में जो निर्णय लिये गये है उसका पूरे प्रदेश मंे पालन हो इसकी रणनीति तय की है। और इस रणनीति को जिला व मण्डल स्तर तक के आयोजित सम्मेलनों के माध्यम से कार्यकर्ताओं तक पहुचंाई जायेगी, जो गांव - गांव तक पहुंचायेगें। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि आज हम ऐसे समय मंे इस कार्य समिति को सम्पन्न कर रहे हैं जबकि प्रदेश में आपदा के कारण भारी तबाही हुई हेै तथा पूरे प्रदेश की जनता आपदा की मार को झेल रही है। 16-17 जून को आई तबाही के बाद आज तक आपदाग्रस्त क्षेत्रों मे कोई सुधार नहीं हो पाया है, आपदाग्रस्त क्षेत्रों की स्थिति बहुत ही दयनीय बनी हुई है । वहां पर मूलभूत सुविधाएं जैसे खाद्यान्न रोजमर्रा की वस्तुएं, चिकित्सा एवं दवाईयों  आदि का अभाव बना हुआ है । सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार आज तक आपदा मंे टूटी हुई सड़कों को खुलवाने मंे नाकाम रही है उत्तराखण्ड की समस्त स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हेै। पूरे उत्तराखण्ड के अन्दर 400 से अधिक सड़के टूटी हुई है  । मुख्य मार्गों से सम्पर्क खत्म होेने के कारण वहां पर मजदूरों एवं घोड़े खच्चरों से भी रोजमर्रा की वस्तुओं को पहुंचाना मुश्किल हो गया है । समूचे उत्तराखण्ड के अन्दर 300 से अधिक गांव अन्धकार मंे डूबे हुए हेैं। प्राकृतिक आपदाएं तो उत्तराखण्ड के अन्दर आती ही हैं परन्तु इस वर्ष की आपदा ने पूरे उत्तराखण्ड को झकझोर कर रख दिया है। आपदा से पहले तथा आपदा के दौरान तथा आपदा के बाद की पुख्ता तैयारियों के लिए आपदा प्रबन्धन विभाग उत्तराखण्ड में खोला गया था जो कि अपने कार्य में पूरी तरह से फैल हो गया है ।  आई आपदा में देश विदेश से आए श्रद्धालुओं के शव आज भी मलबे के ढेर में दबे हैं जिसकी स्पष्ट जानकारी सरकार के पास नहीं है। जो लोग आपदा के समय अपनी जानों को बचाने के लिए ऊंची पहाड़ियों में चढ गये थे वे भी वहां भूख प्यास एवं ठण्ड से मारे गये सरकार ने समय रहते इन्हे बचाने का कोई प्रयास नही किया । आपदा मंे लगी एजेन्सीयों  एंव आपदा प्रबन्धन विभाग के बीच कोई तालमेल न होना भी दुर्भाग्य का विषय है ।  भाजपा के जिला प्रभारी हेमंत द्विवेदी ने कहा कि उक्त आपदा के दौरान भारतीय पुरातत्व विभाग की टीम उत्तराखण्ड मंे घुमती रही लेकिन उन्हें केदारनाथ जाने के लिए हेलीकाप्टर उपलब्ध नहीं कराया गया जबकि उत्तराखण्ड के मंत्री हेलीकाप्टरों पर हवाई सर्वेक्षण के नाम पर घुमते रहे पुरातत्व विभाग की टीम के आधार पर ही वहां नव निर्माण एवं सफाई कार्य होना था।  इस अवसर पर गोबिन्द अग्रवाल, जिलाध्यक्ष ज्योति सजवाण, कपिल गुप्ता, सुभाष बडथ्वाल, गजेन्द्र पंवार, सरोज डिमरी, उषा रावत स्नेहलता शर्मा, डोईवाला की अध्यक्ष कोमल कन्नौजिया, देवेन्द्र दत्त सकलानी, जितेन्द्र नेगी, कृष्ण कुमार सिंघल, सहित पूरे जिले से काफी संख्या मे कार्यकर्ता उपस्थित थे।

हल्की नोंक-झोंक के साथ डीएवी में मतदान सम्पन्न
मतदान दिवस पर छात्र संगठनों ने खूब उड़ाई आचार संहिता की धज्जियां

देहरादून, 5 सितम्बर, (मनोज इष्टवाल)। गुरूवार को डीएवी कॉलेज के चुनावी महासंग्राम में मतदान हल्की नोंक-झोंक के साथ सम्पन्न हो गया, जिसके बाद अब मतगणना का इंतजार है। गुरूवार को छिटपुट घटनाओं के साथ मतदान हुआ। वहीं दर्जनों छात्राएं फर्जी आईकार्ड के साथ पकड़ी गयी जिन्हें सख्त हिदायत दे कर गेट से बाहर भेज दिया गया। राजधानी दून में पिछले कई दिनों से डीएवी के छात्रसंघ चुनाव को लेकर हंगामा चल रहा था। प्रदेश के सबसे बड़े महाविद्यालय डीएवी का छात्रसंघ चुनाव बिना आचार संहिता की धज्जियां उड़ाए व बिना मारपीट के साथ ही पूरे शहर में हंगामे के बिना संपन्न हो जाये ऐसा हो ही नहीं सकता। गुरूवार को छात्रसंघ चुनाव के लिए मतदान के लिए डीएवी पीजी कॉलेज में छात्र संगठनों द्वारा जम कर आचार संहिता की धज्जियां उड़ायी गयी। प्रत्याशियों ने अपने मतदाताओं को खुश करने के लिए बसों, कारों की व्यवस्था कर उन्हें घर से कॉलेज तक पहंुचाया। कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में तो शहर भर में हालात खराब हो जाते हैं। पुलिस भी तमाम बयानबाजियां और दावे करने तक ही सिमट कर रह जाती है लेकिन छात्र नेताओं और उनके समर्थकों के हंगामे से शहर को मुक्ति नहीं मिल पाती है। गुरूवार को कॉलेज में छात्र संघ चुनाव के दौरान छात्रों का हुड़दंग सड़कों पर खूब दिखाई दिया। वहीं आचार संहिता की धज्जियां भी जम कर उड़ायी गयी। चुनाव में मतदान के लिए छात्र-छात्राओं को स्वयं ही मतदान स्थल तक पहंुचना होता है लेकिन छात्र नेताओं ने इस नियम को भी ठेंगा दिखा दिया। सभी प्रत्याशियों ने मतदाताओं को मतदान करने के लिए कॉलेज तक लाने की व्यवस्था की थी। सिटी बसों से लेकर कारों तक की व्यवस्था की गयी थी जिनके माध्यम से छात्र-छात्राओं को घरों से लाया गया लेकिन इनके जाने की व्यवस्था नहीं की गयी। कुछ ही प्रत्याशियों ने मतदाताओं को उनके घरों तक छुड़वाया लेकिन ज्यादातार ने तो बस वोट डालने के बाद उनकी सुध भी नहीं ली। कॉलेज में जब से चुनाव की अधिसूचना जारी हुई है तब से आज तक वहां आचार संहिता की जम कर धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। वहीं छात्रों, प्रत्याशियों के हुड़दंग पर सख्ती करने के पुलिस के दावे भी फेल ही साबित हो गये हैं। बीते दिनों से जहां प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के शोर से पूरा शहर त्रस्त हो रखा था। इस चुनावी शोर से आज लोगों को कुछ शांति मिली। हालांकि कॉलेज रोड में पूरा दिन गहमा-गहमी रही। प्रत्याशियों के समर्थक कॉलेज जाने वाली सभी सड़कों में डटे हुए थे और मतदान के लिए जाने वाले छात्रों से अपने प्रत्याशी के समर्थन में वोट डालने की अपील कर रहे थे। मतदान के लिए आने वाले छात्रों की कॉलेज गेट पर चैकिंग हो रही थी। इस दौरान वहां आने वाली छात्राओं के आईकार्ड चैक किये गये तो दर्जनों छात्राओं के कार्ड फर्जी निकले। छात्राओं के फर्जी आईकार्ड के साथ पकड़े जाने पर कॉलेज में हड़कंप मच गया। इन छात्राओं को शिक्षकों ने सख्त हिदायत दे कर गेट से वापस भेज दिया। वहीं कॉलेज छोटीमोटी घटनाओं के अलावा मतदान शांतिपूर्ण हुआ।

राज्यपाल से मिली राज्य महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष

देहरादून, 5 सितम्बर, (मनोज इष्टवाल)। उत्तराखण्ड महिला आयोग की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमती गीता ठाकुर ने राज्यपाल से विगत सायं राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें अवगत कराया कि कुमाऊं के आपदा पीड़ित धारचूला क्षेत्र के आपदा प्रभावित परिवारों की युवा लड़कियों को अन्य राज्यों से आये लोगों द्वारा शादी सहित अन्य सुविधाओं का झांसा देकर राज्य से बाहर ले जाया जा रहा है। राज्यपाल ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए तत्काल दूरभाष के माध्यम से कुमांऊ मंडलायुक्त तथा तथा पुलिस उपमहानिरीक्षक को अविलंब प्रभावी कार्यवाही अमल में लाने के निर्देश दिए। 

वर्ष 2014 हज के लिए यात्री सहूलियत के लिए जल्दी पासपोर्ट बनवा लें

देहरादून, 5 सितम्बर, (मनोज इष्टवाल)। क्षेत्रीय पासपोर्ट आफिसर देहरादून विजय शंकर पांडेय ने बताया कि वर्ष 2014 में जो यात्री हज पर जाना चाहते हैं जल्दी पासपोर्ट बनवा लें। यात्री इस साल के आखिर तक आवेदन कर दें तो उन्हें सहूलियत रहेगी। उन्होंने बताया कि पिछले साल जिन्होंने समय रहते पासपोर्ट बनवा लिये थें उन्हें किसी किस्म की परेशानी नहीं हुई थी। उन्होंने बताया कि पासपोर्ट की अर्जी आन लाइन जमा होगी और आवेदकों को दलालों के जरिये आने की जरूरत नहीं है।

पीआरडी जवानों ने किया आत्महत्या का प्रयाग

देहरादून, 5 सितम्बर, (मनोज इष्टवाल)। अपनी उपेक्षा से आहत पीआरडी जवानों ने गुरूवार को आत्महत्या का प्रयास किया, दो लोगों पीआरडी जवानों ने गुरूवार को आंदोलन के दौरान मुख्यालय पर ही पैट्रोल छिड़कर आत्मदाह का प्रयास किया जिसे मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों ने विफल कर दिया। अपनी पाचं सूत्रीय मांगों को लेकर यह पीआरडी जवान पिछले 130 दिनों से धरने पर बैठे है। इन पीआरडी जवानों का आरोप है कि 2005 से लेकर अब तक कई बार शासन के साथ वार्ता हो चुकी है और कई बार लिखित समझौते हो चुके है लेकिन इसके बावजूद भी इन समझौतो पर अमल नहीं किया गया है। अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे उन पीआरडी जवानों का कहना है कि शासन पुलिस बल के इस्तेमाल से उनके आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रहा है लेकिन उनकी मांगें मानने के लिए सरकार तैयार नहीं है। अपनी तय कार्यक्रम के अनुसार गुरूवार को इन पीआरडी जवानों ने मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया और तालाबंदी की। पीआरडी जवानों की इस तालाबंदी और प्रदर्शन से निपटने के लिए भारी संख्या में यहां पुलिस बल तैनात किया गया था लेकिन इसके बावजूद भी इन पीआरडी जवानों ने तालाबंदी कर वहां काम कर रहे कर्मचारियोें को बंधक बना दिया। इस दौरान इन पीआरडी जवानों की पुलिस कर्मियों के साथ भी तीखी नोंकझोंक हुई इन जवानांे का कहना था कि पुलिसकर्मियों की तरह वह भी वर्दी पहनते है और उसका सम्मान करते है इसलिए उन्हें पुलिसकर्मियों द्वारा उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को नहीं रोका जाना चाहिए। इसी बीच दो पीआरडी जवानों ने जिनमें एक महिला कमला रावत और वीर सिंह रावत ने अपने ऊपर पैट्रोल छिड़क लिया और आत्मदाह की कोशिश की गयी। पुलिसकर्मियों द्वारा मुश्तैदी दिखाते हुए उन्हें पकड़ लिया गया और उनके पैट्रोल की बोतल छीन ली गयी लेकिन तब तक वह दोनों पैट्रोल से भीग चुके थे गनीमत रही कि वह आत्मदाह नही कर सके और पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया जिससे उनका यह आत्मदाह का प्रयास असपफल हो गया। इससे पहले कि अपने आंदोलन के दौरान यह पीआरडी जवान आत्मदाह की चेतावनी देते रहे है कि तीन सितम्बर को जब पुलिस ने उन्हें सचिवालय कूच से रोका था उस समय भी इन आंदोलनरत जवानों ने कहा था कि सरकार या तो उनकी मांगों को माने या पिफर उन्हें इच्छामृत्यु का अधिकार दे। उन्होंने आत्मदाह की चेतावनी भी दी थी इन जवानों की मांग है कि सरकार पीआरडी एक्ट में संशोधन कर उन्हें राज्य कर्मचारी घाषित करे पीआरीडी को युवा कल्याण विभाग से हटाया जाय और उनकी अलग बटालियन या विभाग बनाया जाय। पीआरडी जवानों की मांग है कि डयूटी के दौरान मृत्यु होने पर उन्हें 10 लाख का बीमा दिया जाय। समाचार लिखे जाने तक पीआरडी मुख्यालय में इन जवानों का आंदोलन जारी रहा और उन्होंने मुख्यालय में काम कर रहे कर्मचारियों को कमरों में बंधक बना रखा था इस मौके पर एसपी देहात ममता बोरा, और रायपुर के थाना अध्यक्ष शंकर सिंह बिष्ट भारी पुलिस बल के साथ मौजूद थे।

शिक्षक दिवस पर शिक्षकों ने उक्रांद की सदस्यता ली

देहरादून, 5 सितम्बर, (मनोज इष्टवाल)। गुरूवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर कई शिक्षकों ने उत्तराखण्ड क्रांति दल (पी) की सदस्यता ली। दल ने एक शिक्षक को सम्मानित भी किया। गुरूवार को राजा रोड स्थित एक धर्मशाला में पत्रकारों से वार्ता करते हुए दल के केन्द्रीय अध्यक्ष त्रिवेन्द्र सिंह पंवार ने कहा कि सरकार द्वारा आपदाग्रस्त क्षेत्र के लिए प्राधिकरण का गठन करने की बात की जा रही है जिसका उक्रांद विरोध करता है। इस कार्य के लिए जब पहले से ही समिति गठित है तो अब प्राधिकरण की कोई आवश्यकता ही नहीं है। प्राधिकरण का गठन कर सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहती है। शिक्षक दिवस के अवसर पर सरकार द्वारा तबादला नीति जारी करने का भी उन्होंने विरोध किया है। उन्होंने बताया कि आज सुरेन्द्र पेटवाल, केएस रावत, विष्णु प्रसाद गैरोला, राधाकृष्ण उनियाल, पीडी सती, एसएन सिंह रावत, सोबत सिंह कठैत, मनमोहन नेगी, प्रीतम थपलियाल, सोबत सिंह भण्डारी व जोगेन्द्र सिंह शिक्षकों ने उक्रांद की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान शिक्षक विष्णु प्रसाद गैरोला को दल ने प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।

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