दो देशों की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात करने के बाद आज चीन के लिए रवाना हो गए। पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन में इन दोनों नेताओं ने कुडनकुलम परमाणु परियोजना से जुड़े सभी लंबित मसलों को हल करने का संकल्प लिया।
अपनी रूस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने रूसी राष्ट्रपति से क्रेमलिन पैलेस में मुलाकात की। पुतिन के साथ सिंह का यह पांचवां वार्षिक शिखर सम्मेलन था। दोनों देशों के बीच यह 14 वां शिखर सम्मेलन था।
वार्ताओं के अंत में जारी किए गए साक्षे बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना की तीसरी और चौथी इकाई के लिए तकनीकी-व्यवसायिक सहयोग और जनरल फ्रेमवर्क एग्रीमेंट को जल्दी अंतिम रूप देने के लिए सहमत हो गए। दोनों नेताओं की बातचीत और साक्षे बयान में दोनों पक्षों के बीच रक्षा, उर्जा, उच्च-तकनीक व्यापार, निवेश, अंतरिक्ष, विज्ञान, शिक्षा, संस्कति और पर्यटन समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की बात की गई। साझे बयान में आतंकवाद के हर रूप की निंदा की गई और दोनों ही पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि आतंकवादियों को पनाह, हथियार, प्रशिक्षण देना या आर्थिक मदद जरा भी बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।
दोनों देशों ने पाया कि अफगानिस्तान, सीरिया और ईरान जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर इन दोनों ही देशों के रूख काफी समान हैं। भारत ने ईरान के परमाणु संकट और सीरियाई समस्या के शांतिपूर्ण समाधान निकालने की कोशिश में लगे रूस की भूमिका की तारीफ की। सिंह को प्रतिष्ठित मॉस्को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन्स की ओर से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई। चीन में चीनी प्रधानमंत्री के साथ चर्चाओं और दोपहर का भोजन करने के बाद प्रधानमंत्री सिंह रात के भोजन पर चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग के मेहमान होंगे। किसी भारतीय नेता के लिए यह दुर्लभ अवसर है।
सिंह ने नई दिल्ली में कहा था कि दुनिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले और उभरती हुई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश भारत व चीन के क्षेत्रीय, वैश्विक और आर्थिक हित लगभग समान हैं। इसकी वजह इनकी विकास की महत्वाकांक्षाएं और वर्तमान रणनीतिक माहौल है।
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