पूर्व समाजवादी पार्टी के नेता रहे अमर सिंह, भाजपा के दो पूर्व सांसदों तथा अन्य आरोपियों के खिलाफ वर्ष 2008 के नोट के बदले वोट मामले में आरोप तय करने पर फैसला स्थगित कर दिया गया है. यह फैसला जज के छुट्टी पर रहने के चलते स्थगित हुआ है और अब मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 अक्टूबर की तारीख तय की गई है.
विशेष न्यायाधीश नरोत्तम कौशल की अदालत में अमर सिंह अदालत में बॉलीवुड अभिनेत्री और अपनी पार्टी की पूर्व सहयोगी जया प्रदा एवं छह अन्य आरोपियों के साथ पेश हुए लेकिन जज के छुट्टी पर रहने के चलते फैसला नहीं आ पाया.
जानकारी हो कि गत माह जिरह के दौरान अमर सिंह ने मामले से खुद को बरी किए जाने की मांग की थी और कहा था कि यह दिखाने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि 2008 में लोकसभा में विश्वास मत के दौरान धन के बदले क्रास वोटिंग के लिए उन्होंने भाजपा के दो सांसदों को लालच दिया था.
दिल्ली पुलिस ने अगस्त 2011 में अपने पहले आरोपपत्र में अमर सिंह और लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधीन्द्र कुलकर्णी को 22 जुलाई 2008 को लोकसभा में विश्वास मत से पहले कुछ सांसदों को रिश्वत देने का साजिश रचने और सरगना होने का आरोप लगाया था.
अमर सिंह व कुलकर्णी के अलावा भाजपा के सांसद अशोक अर्गल और फग्गन सिंह कुलस्ते तथा पूर्व सांसद महावीर सिंह भगोरा, अमर सिंह के पूर्व सहयोगी संजीव सक्सेना तथा भाजपा के पूर्व कार्यकर्ता सोहेल हिंदुस्तानी मामले में आरोपी हैं. एक संसददीय समिति की अनुशंसा पर 2009 में मामला दर्ज किया गया था.
सभी आरोपियों पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं और भादंसं के तहत आपराधिक षड्यंत्र रचने के लिए मामला दर्ज किया गया है. जिरह के दौरान पुलिस ने इन दावों को खारिज कर दिया था कि यह व्हिस्लब्लोविंग ऑपरेशन या स्टिंग ऑपरेशन है और कहा कि इस याचिका को संसदीय जांच समिति ने भी स्वीकार नहीं किया था.
इस मामले में अर्गल, कुलस्ते और भगोरा ने पहले दावा किया था कि 22 जुलाई 2008 के विश्वास मत से पहले संसद में खरीद- फरोख्त के मामले को उजागर करने के लिए यह एक स्टिंग ऑपरेशन था और उनको इस मामले का भंडाफोड़ करने के लिए आरोपी नहीं माना जाना चाहिए.
.jpg)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें