मुंबई की एक विशेष अदालत ने राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 2006 के मालेगांव विस्फोट मामले के एक आरोपी द्वारा दायर की गई याचिका पर जारी किए गए।
एक वकील ने कहा कि इस याचिका में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच को चुनौती दी गई है। आरोपी के वकील जे.पी.मिश्रा ने बताया 27 नवंबर तक इस नोटिस का जवाब दिया जाना है, जिसे महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के विशेष न्यायाधीश वाई.डी.शिंदे ने शनिवार को जारी किया है।
आठ सितंबर 2006 को नाशिक के मालेगांव में एक मस्जिद के नजदीक शक्तिशाली विस्फोट हुआ था, जिसमें 37 लोगों की मौत हो गई थी और 160 से अधिक लोग घायल हो गए थे। पुलिस और इसके बाद एटीएस द्वारा नौ मुस्लिम युवाओं को घटना में उनकी संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था। मामले के एक आरोपी मनोहर सिंह ने एनआईए की जांच की निष्पक्षता को चुनौती दी है, जिसके कारण इन नौ मुस्लिम युवकों को जमानत मिल गई है। इन युवाओं ने बाद में यह दलील दी थी कि उन्हें एटीएस और सीबीआई द्वारा आतंकवाद के मामले में फंसाया गया है और एनआईए की जांच में उन्हें निर्दोष पाया गया था।
मिश्रा ने कहा कि एनआईए ने एटीएस और सीबीआई की जांच को निष्फल साबित कर दिया था और इसलिए मनोहर सिंह ने एनआईए की जांच की निष्पक्षता को चुनौती दी है। मनोहर सिंह के आवेदन का विरोध करते हुए नौ मुस्लिम युवाओं का बचाव कर रहे जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दलील दी है कि इसका मकसद पूरे हो चुके मामले की सुनवाई को आगे बढ़ा कर अदालत को गुमराह करना है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के वकील शरीफ शेख ने कहा कि मनोहर सिंह को ऐसा करने का अधिकार नहीं है, उनकी याचिका पर कानून के तहत विचार नहीं किया जा सकता और इसे खारिज कर देना चाहिए। साथ ही एटीएस और सीबीआई को इस बात का मौका नहीं दिया जाना चाहिए कि वे नौ मुस्लिम युवकों के खिलाफ जानबूझ कर दायर फर्जी आरोप पत्र को जायज ठहराने का कोई बहाना ढूढ़ने की कोशिश करें।
2006 में इस मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ले ली और उसने एटीएस की जांच को सत्यापित कर दिया। इस मामले में नया मोड़ तब आया, जब स्वामी असीमानंद को सीबीआई ने गिरफ्तार किया, जिसने 2008 में मुस्लिम बहुल इलाके मालेगांव में हुए दूसरे विस्फोट में हिंदूवादी कट्टरपंथियों के शामिल होने की बात कबूल की थी। इस सनसनीखेज खुलासे के बाद एनआईए ने 2006 मामले की जांच शुरू की थी और मनोहर सिंह, धान सिंह, लोकेश शर्मा और राजेंद्र चौधरी को गिरफ्तार किया था, जबकि एक अन्य आरोपी रामजी कालसांग्रा को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। पिछले साल मुस्लिम युवकों को जमानत दे दी गई थी और दो महीने बाद उन्होंने एनआईए की जांच रपट के आधार पर मामले से बरी किए जाने की मांग को लेकर अदालत में याचिका दायर की थी।
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