भागलपुर में स्तूपों का पता लगाने के लिए एएसआई जल्द ही खुदाई शुरू करेगा. यहां पाल कालीन नौ स्तूपों की मौजूदगी की संभावना जताई गयी है. भागलपुर जिले में प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय के भग्नावशेष के पास स्थित माने जा रहे पाल कालीन बौद्ध स्तूपों का पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) जल्द ही खुदाई शुरू करेगा.
एएसआई (बिहार) के निदेशक अतुल वर्मा ने पटना में बताया कि उन्होंने प्रशासन से प्रस्तावित खुदाई स्थल की तस्वीरें भेजने को कहा है जिसके बाद खुदाई के लिए एक टीम भेजी जाएगी. वर्मा ने बताया कि स्तूपों की संभावित मौजूदगी के बारे में भागलपुर जिलाधीश कार्यालय से आए एक फोन कॉल के बाद यह फैसला किया गया. स्तूपों की मौजूदगी की संभावना उस वक्त जाहिर हुई थी जब विक्रमशिला विविद्यालय के भग्नावशेष से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित पहरिया टोला के एक किसान को गुरुवार को जमीन के नीचे कुछ कठोर चीज होने का आभास हुआ.
टार्च की सहायता से एक सुराख के जरिए देखने पर उन्होंने पाया कि कुछ कठोर ढांचा मौजूद है. जल्द ही कुछ और ग्रामीण जुट गए और उन्होंने इस बारे में एएसआई कार्यालय को सूचना दी.मौके पर पहुंचे एएसआई अधिकारियों ने जमीन के अंदर स्तूप की मौजूदगी की संभावना की पुष्टि की.
एएसआई विक्रमशिला म्यूजियम के प्रभारी अनुराग कुमार ने वहां पाल कालीन नौ स्तूपों की मौजूदगी की संभावना जताई है. गौरतलब है कि भागलपुर से 44 किलोमीटर पूर्व में स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय का स्थान नालंदा के बाद आता था. उसकी स्थापना बंगाल के शासक धर्मपाल (783-820 ई) ने आठवीं सदी के अंत में की थी.

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