उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने धार्मिक आधार पर मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग का कड़ा विरोध करते हुए सोमवार को कहा कि संविधान में मजहब के आधार का आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है।
सिंह ने यहां कहा कि मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति देश को कमजोर करने का काम कर रही है। उन्होंने गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे के उस बयान की भी कडे़ शब्दों में निन्दा की जिसमें उन्होंने पत्र लिखकर सभी राज्य सरकारों को मुस्लिम युवकों को तंग न करने और जेल में बन्द मुस्लिमों के मामलों की समीक्षा कर उन्हें जेल से निकालने की बात कही गयी है।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लोकसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं राजनीतिक दल धर्म के आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण के प्रयास में जुट गये हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुस्लिम तुष्टीकरण के आधार पर वोट बैंक बनाना चाहते हैं और मजहब के आधार पर ये तीनों दल ही मुस्लिमों को आरक्षण देने का मन बना रहे हैं।
सिंह ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि साढे़ चार प्रतिशत आरक्षण मुसलमानों को मिलना चाहिए। सलमान खुर्शीद कहते हैं कि नौ प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए और मुलायम सिंह यादव आबादी के हिसाब से 18 प्रतिशत के साथ मायावती भी मुस्लिम आरक्षण के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मत है कि हम मजहब के आधार पर किसी भी वर्ग को आरक्षण देने के सख्त खिलाफ हैं और इसके दो कारण हैं। पहला तो यह कि संविधान के अन्दर मजहब के आधार पर किसी वर्ग को कोई आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है। दूसरा जितनी पिछली जाति मुसलमानों में हैं वो मण्डल कमीशन में पहले ही आ चुकी हैं और आरक्षण का लाभ पा भी रही हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा इसके सख्त खिलाफ है। उन्होंने कहा कि अगर हमारी सरकार सत्ता में आती है तो हम इस प्रकार के किसी भी फैसले को स्वीकार होने नहीं देंगे और अगर इन सरकारों ने कुछ कर भी लिया तो सरकार आने पर उस फैसले को निरस्त कर देंगे।
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