आंध्रप्रदेश के विभाजन की दिशा में केंद्र के आगे बढ़ने के बीच एकीकृत आंध्रप्रदेश के समर्थकों को उम्मीद है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उच्चतम न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे और तेलंगाना का निर्माण रोकने में भाजपा भी भूमिका निभाएगी।
एकीकृत आंध्रप्रदेश के समर्थकों का मानना है कि राष्ट्रपति कम से कम अस्थायी तौर पर तो विभाजन की प्रक्रिया बाधित कर सकते हैं, क्योंकि केंद्र की कार्रवाई में प्रक्रियागत खामियां हैं। मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी से लेकर इन लोगों तक को उम्मीद है कि राष्ट्रपति केंद्र को संविधान में वर्णित प्रक्रिया का और छत्तीसगढ़, झारखंड तथा उत्तराखंड के गठन के दौरान तय मानकों का पालन करने का आदेश देंगे।
रेड्डी पहले ही एक विस्तृत पत्र राष्ट्रपति को लिख कर उनसे केंद्र को यह आदेश देने का अनुरोध कर चुके हैं कि वह तय मानकों के अनुसार, विधानसभा से राज्य के विभाजन के लिए प्रस्ताव पारित करने के लिए कहे। तेलुगु देसम पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने भी राष्ट्रपति को एक पत्र लिख कर कहा है कि केंद्र ने आंध्रप्रदेश के प्रस्तावित विभाजन के लिए गैरपरंपरागत और गैरलोकतांत्रिक तरीका अपनाया है जिससे संघीय राजनीति :फेडरल पॉलिटी और देश के लोकतंत्र को खतरा उत्पन्न हो गया है।
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