आंध्रप्रदेश का विभाजन रूकवाने में राजनीतिक दलों से सहयोग की आस में वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी सोमवार को केंद्रीय मंत्री शरद पवार से मिले. जगनमोहन शरद पवार से समर्थन का कोई ठोस आश्वासन नहीं हासिल कर पाए.
काफी पहले ही तेलंगाना के गठन का समर्थन करने वाली राकांपा के प्रमुख ने कहा कि जगन की राज्य विधानमंडल को विश्वास में लेने और पृथक राज्य के गठन के लिए संविधान के अनुच्छेद 3 में संशोधन की मांग, ‘महत्वपूर्ण मुद्दे’ हैं तथा वह इन पर (अपनी) पार्टी की बैठक में चर्चा करेंगे. इस भेंट के बाद पवार ने कहा, ‘‘राकांपा ने नौ साल पहले ही तेलंगाना के विचार का समर्थन करने का निर्णय लिया था. जगनमोहन रेड्डी हमारे रूख से वाकिफ हैं. लेकिन उन्होंने दो बड़े मुद्दे उठाए हैं. पहला मुद्दा, किसी राज्य के विभाजन के बारे में उस राज्य की विधानसभा को विश्वास में लेने का है.’’
राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘‘उनका सुझाव है कि केंद्र को राज्य विधानमंडल को नजरअंदाज कर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए. दूसरा मुद्दा जो उन्होंने उठाया है वह संविधान के अनुच्छेद 3 का है .....इस पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है.’’ पवार ने कहा कि वह इस समय कोई निर्णय लेने या दृष्टिकोण अपनाने की स्थिति में नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जो लोग लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, वे निश्चित ही रेड्डी की बातों को नजरअंदाज नहीं करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि वह जगन के इस विचार को राकांपा की कार्यसमिति की बैठक में रखेंगे कि विधानसभा का सम्मान करने के मुद्दे पर गहन विचार करने की जरूरत है. जगन ने उन्हें एक ज्ञापन सौंपकर कहा है कि आंध्रप्रदेश की जनता राज्य को अखंड रखने के पक्ष में है.
राकांपा नेता ने स्पष्ट किया कि भेंट के दौरान राजनीतिक ध्रुवीकरण पर कोई चर्चा नहीं हुई. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मीडिया में यह रिपोर्ट देखी कि जगन रेड्डी मुझसे मिलने आ रहे हैं... और यह राष्ट्रीय स्तर पर किसी नये धुवीकरण की प्रक्रिया है. कुछ अखबारों यह भी छपा है कि राकांपा को नये सहयोगी की तलाश है. इससे पत्रकारों के स्तर का पता चलता है.’’इस बीच वाई एस आर कांग्रेस के नेता ने भेंट के बाद कहा, ‘‘मैंने पवार को यह समझाने की कोशिश की कि यदि उनके जैसे कद का व्यक्ति चुप रहता है और इसे (विभाजन को) होने देता है तो यह केवल आंध्रप्रदेश तक ही नहीं रूकेगा.’’
जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि उन्होंने पवार से संविधान के अनुच्छेद 3 (राज्यों के गठन, क्षेत्रों, सीमाओं और वर्तमान राज्यों के नामों में बदलाव से संबंधित) में संशोधन पर समर्थन मांगा. उन्होंने कहा कि विधानसभा की सहमति या उसके दो तिहाई सदस्यों का समर्थन और संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन किसी राज्य के विभाजन को मंजूर करने के लिए अनिवार्य बना देना चाहिए.
वाईएसआर प्रमुख ने कहा, ‘‘एक नयी परंपरा डाली जा रही है कि जिस किसी के पास 272 सांसद होंगे, वे अपनी मर्जी से किसी राज्य का उसकी विधानसभा को विश्वास में लिए बगैर ही विभाजन कर देगा.’’ पवार से भेंट के बाद वह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री गए. पवार और उद्धव से भेंट से एक दिन पहले जगनमोहन रेड्डी ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिले थे जिन्होंने तेलंगाना बनाने के खिलाफ उनके संघर्ष में समर्थन का हाथ बढ़ाया था. पटनायक ने कहा था कि राज्य का विभाजन सहमति से न कि संकीर्ण राजनीतिक हितों से किया जाए.जगनमोहन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मिल चुके हैं.
.jpg)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें