उच्चतम न्यायालय ने वीके सिंह के खिलाफ अवमानना कार्यवाही खत्म की. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 21 नवंबर 2013

उच्चतम न्यायालय ने वीके सिंह के खिलाफ अवमानना कार्यवाही खत्म की.

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह के खिलाफ अवमानना कार्यवाही बुधवार को खत्म कर दी. इससे पहले जनरल वीके सिंह ने बिना शर्त माफी मांग ली और अपनी उम्र संबन्धी विवाद के फैसले को लेकर न्यायपालिका के बारे में दिया गया अपना बयान वापस ले लिया. इस कार्यवाही के बाद 63 वर्षीय जनरल सिंह परेशान नजर आ रहे थे. उन्हें उनके वकील राम जेठमलानी ने सांत्वना दी.

वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने उनकी ओर से न्यायालय में कहा कि वह न्यायपालिका से संबंधित पूर्व थल सेनाध्यक्ष का पूरा बयान वापस ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह जनरल सिंह की आयु के विवाद पर 10 फरवरी, 2012 के शीर्ष अदालत के फैसले पर न्यायालय के बारे में दिये गये सभी बयान वापस ले रहे हैं.
न्यायमूर्ति आर एम लोढा और न्यायमूर्ति एच एल गोखले ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि न्यायालय में उपस्थित सिंह ने पहले ही अवसर पर क्षमा याचना कर ली है. न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम उनकी बिना शर्त क्षमा याचना स्वीकार करते हैं और तद्नुसार अवमानना कार्यवाही खत्म करते हैं.’

न्यायाधीशों ने कहा, ‘प्रायश्चित एक ऐसा तरीका है जो हर तरह के खराब आचरण को भी माफ कर देता है और यदि क्षमा याचना दिल से की जा रही है और वह भी जेठमलानी जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा तो अवमानना कार्यवाही एक क्षण के लिये भी जारी नहीं रहनी चाहिए.’ शीर्ष अदालत ने जनरल सिंह की उम्र विवाद के संबंध में 22 सितंबर को प्रकाशित पूर्व थल सेनाध्यक्ष की टिप्पणियों का स्वत: ही संज्ञान लेते हुये एक अक्तूबर को उन्हें नोटिस जारी किया था. न्यायालय ने कहा था कि पहली नजर में यह न्यायालय को बदनाम करने और उसके अधिकार को कम करके आंकने वाला है.

जेठमलानी ने कहा कि सिंह 21 सितंबर को न्यायपालिका के बारे में एक समाचार एजेन्सी को अंग्रेजी, हिंदी में दिया गया पूरा बयान और न्यायालय से संबंधित अन्य सभी बयान वापस ले रहे हैं. सेना की 42 साल तक सेवा करने वाले सिंह ने उम्र के विवाद पर शीर्ष अदलात के आदेश के संदर्भ में की गयी टिप्पणियों के बारे में 18 नवंबर को ‘बिना शर्त माफी’ मांग ली थी. जनरल सिंह का कहना था कि इस संस्थान और न्यायाधीशों प्रति किसी प्रकार का अनादर करने की उनकी मंशा नहीं थी जो ‘देवता’ तुल्य हैं.

न्यायाधीशों ने हालांकि जनरल सिंह के खिलाफ अवमानना कार्यवाही खत्म कर दी लेकिन 15 मिनट की सुनवाई के दौरान उनसे जानना चाहा कि हालांकि उन्होंने बिना शर्त माफी मांग ली है लेकिन वह गलत तरीके से रिपोर्टिंग होने का दावा कर रहे हैं. न्यायाधीशों ने कहा, ‘क्या रिपोर्टिंग में गड़बड़ी थी. यदि रिपोर्टिंग में गलती होती तो आप को दूसरा तरीका अपनाना चाहिए था. यदि आप खेद व्यक्त करते हैं तो हम मामले को बंद कर देंगे.’

न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमने 10 फरवरी, 2012 के अपने आदेश में भी कहा था कि आपके प्रति सरकार सर्वोच्च सम्मान रखती है’ लेकिन उन्होंने इंटरव्यू में उनके इस कथन पर आपत्ति की कि न्यायाधीशों पर विरोधियों की लॉबी काम कर रही हैं. न्यायालय ने जेठमलानी से कहा, ‘‘हम संस्थान की गरिमा के बारे में चिंतित हैं और आपने इसे खतरे में डालने की बजाय इसकी गरिमा बनाये रखने में उसकी मदद की है.’ न्यायाधीशों ने कहा कि अब इस मामले में और आगे बढ़ने की जरूरत नहीं है क्योंकि न्यायालय की मदद कर रहे अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने भी जेठमलानी के बयान पर संतोष व्यक्त किया है.

इस मामले में एक वकील को हस्तक्षेप की अनुमति देने से इंकार करते हुये न्यायाधीशों ने कहा कि अवमानना की कार्यवाही का दायरा नहीं बढ़ाया जाये. सुनवाई के दौरान जेठमलानी ने कहा कि वह न्यायाधीशों को सिंह की आत्मकथा ‘करेज एंड कंविक्शन’ भेंट करना चाहते हैं. यह पुस्तक हाल ही में प्रकाशित हुयी है. न्यायाधीशों ने उनके इस प्रस्ताव को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करते हुए कहा कि वे शीर्ष अदालत के पुस्तकालय से इसे खरीदने को कहेंगे.

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