सुप्रीम कोर्ट ने मार्क्सवादी नेता अजित सरकार की हत्या के मामले में राजद के पूर्व सांसद पप्पू यादव को बरी करने के निर्णय के खिलाफ सीबीआई की अपील पर शुक्रवार को पप्पू यादव को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की खंडपीठ ने राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को इस अपील पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का वक्त दिया है। जांच ब्यूरो की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल गुप्ता ने कहा कि पटना हाई कोर्ट ने इस हत्याकांड में अनेक मुख्य गवाहों और टेलीफोन के रिकॉर्ड की अनदेखी करके पप्पू यादव को बरी करके भूल की है।
मार्क्सवादी पार्टी के विधायक और ट्रेड यूनियन नेता अजित सरकार की 14 जून, 1998 को पूर्णिया जिले में अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी। इस हत्याकांड मे पप्पू यादव भी आरोपी थी। इस हत्याकांड की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने की थी। हाईकोर्ट ने इस साल 17 मई को पप्पू यादव और दो अन्य आरोपियों राजन तिवारी तथा अनिल कुमार यादव को सबूतों के अभाव में अजित सरकार हत्याकांड से बरी कर दिया था।
हाईकोर्ट ने पप्पू यादव को उम्र कैद की सजा देने का निचली अदालत का निर्णय निरस्त कर दिया था। अदालत ने पप्पू यादव को तत्काल जेल से रिहा करने का आदेश दिया था बशर्ते किसी अन्य मामले में वह वांछित नहीं हो। पप्पू यादव बेउर जेल और तिहाड़ जेल में बंद रहने के दौरान कई बार चर्चा में आये थे। नवंबर 2004 में जेल में बड़ी संख्या में मुलाकातियों के साथ दरबार लगाने और गैरकानूनी तरीके से फोन के इस्तेमाल के लिए भी वह चर्चा में रहे थे।
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